अमृत - मन्थन अथवा जीवन का दिव्य पक्ष | Amrat Manthan Athava Jeevan Ka Divya Paksh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय संस्क्रति की दृष्टि से
मातृभूमि का अभिनन््दन
विश्वप्रसिद्ध दमारी माठभूमि भारत देदीष्यमान दो !
६. घुलेक से मावी। अबतीं,
दोनों छोकों को दिव्य मय से आपूर्ण करनेदाली,
अभिलषित कामनाओं को देनेदाली
तथा ठुःख दारिद्रय ६ गश्दमी ५ को ध॒टानेवाली,
देदीस्वरूपिणी मासत-माता
सदृविचारों को छाघना मैं हमारी कद्धायक हो $
२ भनुष्यों को मृत्यु से दटाकर
अम्नतत्व की प्राप्ति का उपदेश देनेवाले
सणस्त बेद, उपनिष्द्ु तथा अन्य ( बौद्ध, जेन भादि ) घर्म-अन्य
जिस के निधि स्वरूप दें,
बच विश्वश्नस्िद्ध हमारी मातृमृमि मारत देदोप्यगान हो ६
4. जिसका अपकर्ष संलार मै
चर्मांचशणु के अपकर्ष का कारण होता है,
जिसके उत्कर में घर्माचाश का उक्तर्ष निहित है,
जिससे धर्म को प्रेरणा! प्राह होती हैं,
वह विश्वप्रसतिद हमारी मातृमृमि मारत देदीप्यमान हो 1
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