हिंदी बोद - ४ | Hindi Bod-4

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Hindi Bod-4 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१ हे ) कहने रेल से लेते तनिक ने काम । नहीं मोटर का लेते नाम ॥ चाहते नहीं. हवाई-यान । नाव पर ही घस तम्दू तान !| धूपने को हम जाते हैं। घूमकर वापस झाते हैं ॥ नाव गदरे जल पर जिस काल । संपल चलती है ढगमग -चाल ॥ झा ! करती तब, खूब कमाल ! देखते ही बनता हैं दाल ॥ कभी वह दा लगाती है। झजी माटर दन जाती है ॥ चलाते माँकी डॉइ सुधार । एक दी साथ, अनेकों बार ॥। डॉइ दिखने ज्यां पंख पसार । चह्दी जाती चिड़िया जलधार ॥। नाव चिड़िया बन जाती ह और उढती-सो जानी 7 ।!




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