प्राचीन भारतीय वेश - भूषा | Prachin Bharatiy Vesh - Bhusha

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Prachin Bharatiy Vesh - Bhusha  by डॉ. मोतीचन्द्र - Dr. Moti Chandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( *१ ) और जूतों के नाम हु--शवनस और पूल, पर इन जूतो को घनावट का पता नहीं चलता । महाव्युत्पत्त में जूतो के लिए उपानह, पादुका, पादवेष्डनिका, पूल और मड (मुड) पूछ शब्द जाये है । मड। जूता आज दिन भो उत्तरी भारत में पहना जाता है। + गोह्ली के अध चिनो से पता लगता है कि गुप्तयुग के पहले दक्षिण भारत की चेश-भूषा अमराबतों के आयी बेश भूषा से बहुत नित ने थी । उच्च पदस्थ लोग घुटने तक को घोती और चूडो से” निकलता हुआ कमरबद पहनते थे। एक जगह एक राजसुमार चुनी घोतो, पेटी कमरबद और शीयपट्ट युक्त पगडी पहने है । घर में भी लोग फ्मरवद पहनते थे। यद्ध यात्रा के समय सिपाही अपनी धोती कमरबद से सोंस लेते थे । अपर सिपाही घोती, कमरबद अथवा पयडी, कचुक और धोती पहनते थे। अवसर लोग लागदार धोती पहाते थे। पगडी स्थिर रखने के लिए पीछे कभी-कभो चौपतिया कोढ़ा लगा होता था। ग्राह्मण घोतो और बैकद्य ओर प्रतिहारों क्चुक, ऊच्ची ठोपी और बकक्ष्य पहरते थे। ग्रोल्ली में एक जगह एक स्त्री टोपी पहने दिखलायी गयी हू । - । गुप्तयुग की सति कल्म में रस और आध्यात्मिकता को प्रोत्साहन देने से उसमें ययाथवादिता फी फमो भा गयी हू। उसमें वेश-भणा का चित्रण रूढिगत आघारो पर हुआ है, इसलिए इस युग पो मूतियो फा महत्व घेश भपा के इतिहास फे लिए यम है, पर इस कमी को अजदा के भित्ति चित्र पूरा करते हू । सिवको से भी हम तत्कालीन वेश भूषा का सु दर चित्र पाते हैं । अजठा फो चित्रो पर सिकफों से मिली वेश भूषा से हमें पत्ता चलता है कि भारतवप मध्य एशिया, चीन और ईरान में आपस के सास्कृतिक और व्यापारिक सबध फे रुएरण इस देश में बहुत से विदेशों यस्त्र भी ग्रहण दर लिये गये ॥ अजटा फे भित्ति-चित्रे में तो घोधिसत्व घोती, चादर, भर मुझ्युट पहने दिसाये यय्रे हू, पर सिफकों धर भक्त राजे तो धोती, दुपट्टा, फ्चुक, पाजामा, पगडो, टोपी और जूते पहने दिखाय गय है। लगता तो यह हु कि बोधिसत्वा फो बेश भूषास्ढिगत हू और सिस्कों पर राजाओं -फी वेश भूपा यथार्थ हू । सिक्कों पर गुप्त राजे अधवहिपा चारुदार और कामदार कोट, चूडीदार पाजामा और पूरे यूटद पहनते थे । यह फोटद फभो-कभी पूरी और ढीली आस्तीप बाला होता था और उसके साथ बठनदार चूट होता था। अधबहिपा फचुक कभी-कभी जाधियों के साथ पहना जाता थां। राजे अवसर कचुक, कमरबद, जाधिया और शोपपट्ट युरत्त पगडो पहनते थे,॥ कभी-कभी थे तुफमेकदार कोट, श्रीचेस और खपुसा किस्म ये जूते पहनते थे। आराम फे समय राजे घोतो और टोपी पहनते थे। चद्मगृप्त एक जगह कचुक और फमरबद और यहीं-फहीं जाघिया और फमरब'द पहरे दिखलायें गये हू। शिकार के समय राजा कचुक, फमरबद, घोतो और फोद पहने दिश्लाये गये हैं ॥ धोडे पर सवार राजा धोती ओर क्मरबद और कभी-कभी क्मरबद, फ्चुबः और घोती पहनते थे। कभी-क्भो उनके गले में डुपह्टा भी पडा होता था । युमारएप्त के युग में एक जातोय पहरावे पा आविप्पार हुआ, जिसमें से पाजामा और पूरे घूट निकाल दिये गये। साधारणत राजे चाक्दार क्चुफ कौर धोती पहनते थे और उनदे साथ कमरवद भी ३ सिर प्राय छुला रहता था। परी शसी दे टोपी भी पहनते थे १ अजटा फे भित्ति चित्रों में राजे और सामत प्राय धोती और बेकदय पहनते हू, पर उनभे मुफुट शरन जटित और भारी भरपम होते थे । एक जगह राजा घारोदार घोतो, झब्बेदार प्मरयद और सिर में पेंच युक्त पयडों पहने हूँ । एक बूतरी जयहू उनके पहराये में धोतो, पेटो, पटका, दुपट्टा और टोपी हु। एश ती़री जगह ये चारणानेदार धोती और घातु निर्मित टोपी पहने हूं। एवं जगह राजा फर्पासप, कमरबद मोर टोपी पहने हूं। दूसरी जापह राजा पूर्पासड, पमरद॑ंव, धोतो, बेकशप, करपनी और मुझुट पहने




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