मानसप्रचारिका | Manasapracharika

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Manasapracharika by जानकीदास जी - Janakidas Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकटहों कि कारखानेअवधअख़बारमें बहतप्रकारोंकीतुलूसी दास व अन्न कविकृतरामायण मल व तज॑माभाषामें होकर कर्पीहें जिनका व्योरा नीचे लिखा जाताहे ॥ श्री गोस्वामी तुझसीकृत रामायण मुझ ओर भाषा टोका रामचरण सहित जिममे रामायणक' सातों कांडों में अयोध्या निवाति थी महन्त रामचरणजो ने भाषा टीका किया इस विस्तत और स्वो्ुंकार युक्त टीका को टीफाकार ने सर्व पराणों के उचित *छोक और वेद की ऋ ऑोंसभी भषित कियाहे और यह पर्तकनमा और सनाभि पश्नचे नममा दोनों प्रकारों सं छपीहे ॥ क्रीमत ७) श्री तुलसीकृत रामायणमल टीका शुकदेवछाल रचित। यह टोका संनपरी निवासि शाकदेवलालजो ने संवत १८०५५ दे० में रचनाकी मुख्यकर इसटोका में यहगुणहें कि च्ोतुछलीरूत रामायण के परिपर्ण आशय को ठेठब्रोछी में अक्षराथ छकर उल्थाकियकिरमो न्थेनाः घिस्वनहीं, पद पदाये अति रमणीय हैं और भक्ति भावको अति लक्षित कियाहे ओए गढाशयों के प्रकट करने ओर प्रमाणकहेत प्राचीन पोराणि- को के *छोकभो संयुक्त कियेहें ॥ क्रोमत २) श्रीतलसीकृत रामायण सटीक इस रामायय्सें गहायवों की टोकाके सलिदाय सलविवेचनानेकाय बोधक कोश और शंका समाधान व काव्यांग और ज्ञान के अथ बहया प्रतिपत्र सानसदीपिका आदिभी संयक्त कीगई हे ॥ क्रीमत १।-) .. श्री तुलसोकृत रामायणकीमानसप्रचारिका॥ दस नवोन ठोका को बेकण्ठ वासि अयोध्याके रहनेवाले महन्त हरि उधव जी साधक शिष्य जो जानकी दासजी ने रचनाकिया इसमें च्रीमदगो- स्वाप्ति तुछलोझुत रामायण में बन्दना से. मानस पराण को प तालीस अशुपदी चोपाई दोहे की टीका निर्माणकीगईहे इस सगमटीकाके पढ़ने से सवकोपहुतसी शखकी लक्ष्म ओर गढ़बातेंविदितहोतीहें क्रीसत |)




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