शास्त्रवार्तासमुच्चय | Shastravartasamuchchya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छालभाई दलूपतमाई ग्रन्थमाल
प्रधान संपादक “
दल्सुख माल्यणिया,
अँंवालाल प्रे, शाह
मुद्वितग्रन्थाः
१, पदार्थी -- शिवादित्यकृत, जिनवधेन-
सूरिकृतटीका सह ४-००
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३, काव्यशिक्षा--विनयचेद्रसूरिझृत १७-००
४. यो तक -- आचार्य हरिभद्रकृकत स्वो-
पशइत्ति तथा ब्रह्मसिद्धान्तसमुच्चय
सह ७५-००
६, १६, रत्नाकरावतारिका - रत्नप्रमसूरिकृतत
प्रथम भाग, द्वितीय भाग ८-००, १०-००
७. गीतगोचिन्द्काब्यम् -- महाकविश्री-
जयदेवविरचित, मानाइटीका सह ८-००
9. 1म्तलू फहत४५४038७87०2७४५ 07 18-
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१०, १४; २१, विशेषावइयकभाष्य -- स्वोपज्ञ-
वृत्ति सह प्रथमभाग १५७५-००
टद्वितीयमाग २०-००, तृती गे २१-००
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१५, रत्नाकराचतारि श्लोकशतार्थी-
वाचकश्रीप्राणिक्यगणि ८-००
१३. दाब्दानुशासन -- आचार्य प्त्यगरिरि-
विरचित ३०-००
१७, कबव्परताविवेक -कद पपहल्नवशेप --
अज्ञातकर्तृक ३२-००
१८, निघण्ठुश्षेप- सब्त्ति -- श्रीहेमचन्द्रसूरि
३०-००
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संप्रति मुग्यमाणग्रन्थनामाव््ि
८ नेमिरंगर छंद -- कविलावण्य-
सम्रयक्ृधृत ६-००
१. रात्ना रिका भा. ३- रत्नप्रभ-
घूरिकृत, टिप्पण-पञ्षिका-गूजरानुवाद सह
२, नेमिनाहचरिंड -- आ, हरिभद्वसूरि-
(द्वितीय)कत ह
३, अध्यात्मविन्दु-स्वोपश्षद्ृत्ति सह --
उपाध्याय हृपंवधनकृत
छ. ख़रीअस्थिभझु -- चक्रपरकृत
७५. मद्नरेखा-आख्यायिका -- जिनभद्र-
यरिकृत
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मसठाराएठप्न8708088 वृछ्डा छाए
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७, विद्याछुशा -- आ० महिषेणसूरिकृत
८, तिरूकमश्नरीसार ---पह्कीपाल धनपालक्ृत
९, भाष्यवार्तिकदीकादि. पश्चिका--
पं० अनिरुद्ध
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