दिलफ़रोश नाटक | Dil Farosh Natak

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
117
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिलफराश | १६
तिलहा-वाह ! क़्या खूब ! तू आराम जो पाये तो केह ।
हमको जब आतिश हिजरा से जलाले तो कहे ॥
क्या यही फज् है कि कासिद के पयाम दिलबर ।
जब कि आशिकको पयामे अजल आये तो कहे ।
गुलशन-आपके आशिक का पता ज्गाना। क्या आसान
काम जाना *
गाना |
वाक्मी खबारेया न पाई मोरी गोइयां ।
मे हारी मे वारी में हारी, हाय जान जान | वाकी खबारिया ०-
देखा भाला जादू ढाला मेरी जान;
दृढा सारा नदी नाला हूँ हेरान ।
इधर उधर डगर डगर नजर करत हू हलकान ।
दुशवार था दुशवार था दुशवार था मेहरबान॥
बनके जासूस की तलाश उसे घर दर में ।
पर कही उसका पता न पाया दुनिया भरमे ॥
जा निसार वेशुमार है न जार कदरदान | वाकी ० -
तिलद्दा--उस माहरू का नामा जो लाया है, इसी लिये
पहुँचा है, नामचर का दिमाग आसमान पर |
क्या तू अब भी न बतायेगी, या तू हमे बातों दी में डड़ा-
थगी या कुछ पत्ना भी बतायेगीः--
क्या कहा, पाया भी उस बानिये रुसवाई को ।
खत दिया याकि नहीं दिलबरे रानाई को ॥
गुलशन-अच्छा अच्छा, समाअत फरमाइये;न घबराइय।
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