सचित्र महाभारत भाषा टीका | Sachitra Mahabharat Bhasha Tika

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Sachitra Mahabharat Bhasha Tika by माधव शास्त्री भण्डारी - Madhav Shastri Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५२४ महाभारत [ बनपर्व डातएपग् घपा ५ प्रयाामरदप्रप्रपग्रय दघ प्रसधपा एपदगाएघरण पद गदर द्ाए यू ऊ। एा1 दा पपप्रार ५0 ए५ दा; दा पा द्चदप ए1 छा; ६८ एफ दाए हर क्रोनविंशो । अथ एकोनर्विश्ञो धध्याय ॥ १९॥ वासुदेव बवाच--एयमुक्तस्तु कोन्तेय ! सूतपुत्नस्ततोउत्रबीतू ..। प्रग्मम्नं चलिनां श्रेष्ठ मधुरं खछक्षममझसा._॥ १ ॥ न में भय॑ं रोक्मिणेय |! सड्मामे यच्छतो हयान्‌। युद्धज्ञो5स्मि च दृष्णीनां नाउन्न किचिदतो5न्थथा। ३२ ॥ आयुप्मन्नुपदेशस्तु सारथ्ये वर्ततां सदतः 1 सवर्थिषु रथी रक्ष्यस्त्वं चापि भुशपीडितः.. # ३ ॥ ले हि शाल्वप्रयुक्तेन शरेणाउमिहतों मुशम्‌ 1 कश्मल/भिहदतों वीर ! ततो5हमपयातवान्‌ू_॥ 9 ॥ स तव सात्वतमुख्याउद्य लव्धसंज्ञो यदच्छया । पश्य में हयसंयाने शिक्षां केशवनन्दन | ॥ ५॥ दारुकेणाउहमुत्पन्नों यथावच्चेव शिक्षितः । वीत भीः प्रविशास्येतां झाल्वस्य प्रथितां चमूमू ॥ ६ # बासुदेव बवाच-- एवमुक्स्ता ततो वीर हयान्संचोद्य सहूरे । राश्मिभिस्तु समुद्यम्य जवेनाउभ्यपतत्तदा_ ॥ ७ ॥ मणडलानि विचित्राणि यमकानीतराणिच । सव्यानि च विचित्राणि दक्षिणानि च सबेशः ॥ ८ ॥ भाप पेपर पथ स्पा पथ पल एव १७ पकशप कफ या ज फ उप पल पय पा फप ज० पड १७ 10 ६० नए परत एछ एव गए बच च 'छ पड) प्रचार: 77 पाज पाए हन्‍्नीसेवा अध्याय ॥ १५॥] ;झय हे आएं पर एप -यगए गम ये वपद्ाउाप्रदाए वश जग धय पाए गए पर पा5 ८पपपप एद035% दाए पर 035 दिए; प५ पा दा; एए ध्राए दाएग: दा कि. एक प्राएप्ये दा; दो; ॥। वा का, पी फ किला था व रपद पा बच ण को एप वधवप बप दूं आह सफवफप उसररवत उपफपपपपनलप्पल्कतपपरपफ प्रणपर हफकवतएकएक




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