तुम्हें सूर्य का निखार दूँगा | Tumhe Surya Ka Nikhar Dunga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1008 KB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पराजय
लक्ष्य !
मेरे पौरुष का उपहास,
पराजय-
मेरी योजना, कम-व्यवस्था पर प्रहार !
सोचता हूँ, बैठता नही,
गाता हूँ, रोता नहीं
में आग्ाबादी जो हैऔर हैं रहम्पवादी ।
कठिन समय--
सर्देव मेरे पग नयी मजिल पर चल पड़े है,
मैंने बुराई मे भी कुछ अच्छा ही पाया है !
णि
विजय प्राप्ति के लिये, शछु को उसके प्रिय से लडा कर-शठ्ध के
शत्रु से मिच्तता कर लो
सुचारु रूप से कार्य करने के लिये शारीरिक तथा मानसिक विकास
अनिवाय है!
प्रत्येक मानवीय जीवन सामाजिक इतिहास की पृष्ठ-भूमि को
चुनौती तथा सृष्टि मे निश्चित समय पर शय खला का एवं महत्व-
पूणअग है!
पाप-सज्ञा मानवीय इष्टिकोण की सकीणता
र्श
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