अष्टादशपुराण दर्पण | Ashtdashpuran Darpan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
429
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'उपाह्यत) ' 7 (१७ )
विष्णुपुराण-बाद जन प्रसंग होनेंसे और भविष्यराज्यवंश कर्लिके
9२४६ वर्षतक कहनेसे १०४५७ सनका निर्माणकाल विदित होता हैं.
2 वायुपुराण-सव पुराणोंमे' यही प्राचीन और “मूछ पुराणोंके सबः
ठक्षणयुक्त है
« ओऔमझ्भागवत-इस बोपदेवकत कोई २ कहते हैं यह १२ शवारर्द
रचनाका बोध होता है... हु
६ नारदीयपुराण-इसमें पुराणकें छक्षण नहीं यह आंधुनिक “भक्ति
अंथ है; इसमें छिखा है कि गोघातक देवनिन्दकके निकट को यहें
पुराण न कहे इससे यह १६ या १७ शताब्दीका संग्रहीत है. बृह-
ज्ारदीयपुराण भी इसी प्रकार विष्णुकी स्तुति और वैष्णवॉकि कर्तव्यसे
पूर्ण है और आधुनिक है
७ मार्कण्डेयपुराण-त्रह्म पन्न नारदीयकी अपेक्षा अति प्राचीन है; यह
९ या दशमी शताब्दीका संग्रह है पूरा भी नहीं है
< अग्निपुराण-इतिहास छन्द व्याकरण तांजिक पूजा होनेके पीछे
यह बना है आधुनिक होनेसे भी यह ग्रेथ मूल्यवान् है
९ भविष्यपुराण-इस समय जो भविष्यपुराण पाया जाता है वह मविष्य
नहा कहा जाता इसमें प्रथम अंशर्म संक्षेपते रश्टितत्व कथन कर
शष समस्तमें व्रत पूजा कही है.
1 ०ब्रह्मवेव्त-मत्स्पपुराणके कहै छक्षण इसमें न होनेसे यह पुराण नहीं
समझाजाता,
११ लिड्भपुराण-यहभी एक कर्म येथ समझना चाहिये पोराणिऊृताकी
रक्षाके लिये इसमें पुरणकथा जोडी है पुरातन शैवारूपान होनेपर
भी इसका बहुत अंश आधुनिक है,
१२ वाराहपुराण-इसको मी कमग्रंथ कह्सकते हैं. १३२ शरताब्दीके
प्रत्तिद्ध वेष्णव रामानुजका इसमें आमभास्त है
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