सचित्र श्रीदुर्गासप्तशती | Sachitra Shreedurgasaptshati

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Sachitra Shreedurgasaptshati by नारायण दत्त शास्त्री - Narayan Dutt Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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$ दुस्या' कयाम 1 इस्तांदेष्डिनी रकेदम्पिका चाद्ुुलीपु च। नलाम्छृकेश्री . रपेत्हपोा. रक्षेत्डलेघरी ॥ २८॥ रूनी र्षेन्म्‌हादेनी मनः शोकषिनाप्चिनी | हंदये ललिता देवी ठदरे श्लधारिणी॥ २९॥ नाभौ चर कामिनी रघ॑ंद्‌ गुल गुझंश्वरी तथा | पूतना क्ामिफा मेड गुदे महिप्राश्नी॥ ३०॥ फर्म भगवती रक्षेजानुनी विन्ण्यधासिनी | चढ़े मइामला रेस्सेकामप्रदामिनी ॥ २१॥ गुल्फमारनारसिंडी घर पादपष्ठे त॒॒ तैजसी। पादाद्बलुलीपू भी रकस्पादाघस्तसधासिनी ॥ २२ ॥ नस्पान्‌ दष्ठाकराडी भर कश्ाश्वैवाष्यकेसिनी । रोमझपेपु कोम्रेरे त्वच्न वागीश्ररी तथा ॥३३॥ दोनो हार्थो्ग दुष्डिनी और में गुर्नोमि सस्यिका रक्षा करे। प्रकेश्ररी स्ोंयी रहा करे ! बुफ्रेश्यरी दुशि ( पेट ) में रहकर रक्षा करे || २८॥ महादेगी दोनों ख्नोंकी भौर शोकविनारिनी देवौ सनकी रप्ता करे | अप्तिठा दैगी हरर्यम और ध्ूज़बारिणौ ठदुस्म रइफर रफ्ता करे ॥ ९९ |! नामित कप्रमनी और गुझ्ममायकी गुप्लेशरौ रा करे | पूठन्य और कामिका डिम्नद्यी सौर मह्िपषाहिनी गुदात्रौ रपा करे ॥ १ ॥ मरगवती क्टिमा और फिन्म्पपासिनी शुस्नोंकी रप्ा करे। सम्पूर्ण कामना मो देन्लान्त मद्धाबब्स देवी दोनों पिश्किस्धेक रझा बरे॥ ३१॥ नारतिएं दोनों पुष्धिगोफी मौर हैक देवी दोनो 'रणोंके प्य्ममामकी रक्षा करे । औदेवी पैसे सहुकियो्मि और तकदानिनी पैरीके शलुमोंमे रएर रक्षा करे ॥ १२॥ अपनी दाडड्ि कारण भर्गकर (िखानों देनेवार्ये दहुशकरगपी दबी नलतोंद्री सौर ऊर्बंकेशिनी देवी केक रप्ता करे । रोमाबब्िशोंक्रि जि्रोंसे कौरेरे सौर त्यपातरौ




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