तीथोगाली | Thirthogali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पंन्यास प्रवर श्री कल्याणविजय जी महाराज साहब का जीवन परिचय सेरे परम प्राराष्य गुस्देव पंस्यास श्री कल्याणविजय जी मद्दौराज साहद सींग जगत के महाग्‌ प्रभावक सन्त हुए हैं। उरहोंने जिन शासन की परतति घोर समाल के गैंतिक एवं पामिक धरातल के उत्कर्ष के लिए प्रपने रु८ वर्ष के उत्काट धाग्रनापुर्ए ' ध्रमण जीवन में जो प्रदान फार्य किये हैं, वे पैन धर्म के इतिदाम में सदा सर्ददा स्वर्शाक्वरों में लिखे जाते रहेंगे। वीर हवाओं संबद और जैनकाल गाया नामक ग्रस्प लिग्रकर इस महासग्त ने भाटीय एवजिहाशबिदों ही नहीं अमितु पाएयात्य विद्वात्‌ इतिहासशों में भी विपुले धर झुप्रटा रयान झास्त दिया है। घेतागमों, निम क्तियों, पृष्तियों, टीडाधों, शापयों हर्व हविदाय प्रस्यों का बड़ा ही गहत पौर सूद्म प्रध्ययत कर द्रादने विदिय विषयों घर भधिकारिक विद्ुत्ता प्रात कर ली थी। एयोतिवशारत सणाएस्व धर धूरिक्या के तो ये विधिष्ट पिद्वान गाने जाते थे । एन इविद्ात है पट डर गडो, शोगएूर्प लेपा, पद्रावलियों भ्रादि के माध्यग से प्रोवन प्रहार! एुतह्शर जे शंदेओ धोजद/ तरद रते, उनते प्रभावित हो प्रनेक दिए एवं हे बहा संमग्र-ममंध पर “इविद्वासमार्येण्ड के शम्धानपूर्ण ह। व जाड हे आइदपिक किए! है | हुये हा हुल्प गई इजचित्‌्रात के माइज्य मैं भोध टेनू विद्वान सर ये कन्दा हु कर के आधा # एप्प | दुजिगापट अह्मंसी प्रतिप्रादिर्श वॉडिल्य, आह दू'लिर ह आए आाए धुश्वुकर है है हाधारियो में विविध विषषों के विभिन्‍्त है हे पून पु ॥ नूर हाट कप दर हे जि ऋष्ड हे खाजएू् मोटय हापड़े दुआ मे हद डक लड़ दें; कर शा मे सजिस्ट बटकर सररिण लिये गढ़, अत बरंवरा कस पुरदा ता डित इल्चो धाकड़ दुाजर सदलीर: हज नि मन पाहजी हा हुनर! झन्चज लॉ पट (प्रड्ारई [दिदझए # हु त कल नछ का झेडल इकाई क्र श्र कक्ब्ल्ष्प- हस्ज्आः है आपात शो # छपाई औरई है. ४० | छूफ बमुड हाफ इिफुक्चाहओऋ 0 कुकर विलय है |




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