ज्ञाताधर्मकथाङसूत्रम् तृतीया भाग | Shree Gnatadharma Kathanga Sootram Bhag-3

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Shree Gnatadharma Kathanga Sootram Bhag-3 by घासीलाल जी महाराज - Ghasilal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनगारधर्माम्ुतयपिणी टी०अ०१४ तेतलिपुप््रवानचरितपर्णनम्‌ ९, यावत-उत्ृएशरीरा जस्ति | तत सछ स तेतविपुत अखताहनिकायाः प्रति निहत'स्प्रत्यागत सन्‌ “ अर्व्मितस्धाणिज्जे ' अभ्यन्तस्स्थानीयानः-अन्तरइग्रेष्य पुरुपा शादयति, शत्दयित्या एदमयददू-गन्उत र छ यूय देयासुप्रिया। कलादस्य मूपीफारदारफस्थ हृद्वधितर मक्याया आत्मा पोछ्चिठा दारिफा मर भायत्वेन हृणुत । है देवामुभिया यूय तथा शयत यम , यथा समृप्रीफारत रकः स्वदुड्तिर मर भा्यात्वेन मद्य देथादितिवात । लत खलछु ते आश्यन्तरस्थानीया प्रुस्पास्ते- तडठिना एयपक्ता सन्‍तो हष्ट तुष्ठा' फरतल्परिए्हीत शिर आवर्च मस्तकेडजर्लि कृत्या, ' ततति ! तथेति तथा ररिप्यामीवि किया कृत्या>यपरीकृत्य यशेव कला इस का नाम पोदिला है। रूप आदि से यह यहुत ही उत्कृष्ट छारीर वाली है| (तण्ण से तेयलिपुत्ते आघवाहुणिएओ पडिनियत्त समाणे अ्मितरठाणिज्जे पुरिसे सद्यावेह, सद्यवित्ता एव चयासी, गजउहण तब्मे देवाणुप्पिया ! करलाइस्स ख्रसियारदारयस्त धूप भद्दाए अत्तय पोइिल दारिय मम मारिय्ताए चरेह) एस के याद चह तेतलि पुत्न अमात्य, अश्ववाहनिक्ता रो पीछे याप लौटा तो लौटते ही उसने अपने अन्तरग प्रेष्प पृम्षों को बुलाश-और छुलाकर उनसे इस प्रकार कहा- हे देवानुप्रियों ? तुम छोग जाओ-और म्रपीकार दारक कलाद की पुत्री जिसका जाम पोछिला है, जो 'भठा फी छुक्षि से उत्पन्न हुई है उसे मेरी भार्षरुप से वरआओ। तात्पर्था उस का यह है कि तुमलोग वहा जाकर ऐसा प्रयत्न करो कि जिस से बह मृपीकारदारक कलाद अपनी पुत्री फो पत्नी के रूप में सुझे दे देब। ( तण्ण ले अव्मतरठाणिज्ञा घुरिसा तेतलिणा एव छुता समाणा हट्ट तुद्ढों करपलछ परिग्गह्यि सिरसा छ ते नाभ चे६्िक्षि छे ते ३५ पणेरेथ। भूजन८ ८४ <रीश्वाणी छे ( तएण से तेयलिपुचे आपवाहणियाओ पडिनियचे समाणे अर््भितरठाणिज्जे पुरिसे सदापेट सहादित्ता एय दयासी गच्छड ण छुब्मे ढेयाणुप्पिया ! उलादस्स मूसियारदारयस्स धूप भहाएं अच्य पोड्डिल दारिय मम भारियत्ताए बरेह ) त्यारपछी ते तेवल्षिपुन्न॒ भारत खखवारउतिजथी बेर पाछे लाव्ये प्यारे शापतानी साथे ०४ तेणे पेक्ताना-गन्तर ण ओेण्व जुड्पेने जात्षाव्या बमने णिक्षावीन तेमने जा भमाएणे 5 3 के देवानुश्ियि ! तने न्वशे। सने भूषी डआरारघ्न उक्षाइनी पुत्री उनहे कु नाम पे ट्विक्षा छे, लगने के लद्धाना गण थी ढत्पन्न थर्ष छे-तेने लार्या उपमभा माने जापे। तात्या था अभाएे छे | तने बे ता बहने ओयबी झजिय हरे 3 ओेथी ते भुषोडारद्ार४ इला६ पेतानी अुनीने परनी उपणा भने व्एपी हे




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