मार्कण्डेय पुराण भाग - 2 | Markandey Puran Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भद्राइ्वादिवर्य वर्णन] [ हे
मनुष्य सभी प्रकार के गुखवान होते हैं, इस वर्ष में चतुभु जी भगबाव् हयग्रीव
स्वरूप में। १० शिर,हृदय,मेढू, चरण हाथ और अक्षित्रयान्वित होकर अवस्थित
हैं, उम जगदीश्वर का सम्पूर्ण विषय इसी प्रकार समझो ॥११॥ भव सुमेरु के
पश्चिम में स्थित केतुमालवर्प का वर्णन सुनो--इस वर्ष में जो सात कुलाचल
हैं वे विशाल, कम्वल, कृष्ण, जयन्त, हरि पर्बत ॥1१२॥ विशोक और वद्ध मान
नामक हैं, इनके अ्रतिरिक्त और भी हजारों विज्ञाल पर्वत हैं, जिनमें श्रनेक
प्राणी निवास करते हैं 1१३॥ उनमें शाक, पोत, करस्भक और अश्रच्चुलार्यादि
अनेक प्रकार के लोगों का निवास है 11१४॥
येपिवन्तिमहानद्योंवंक्षुश्यामांस्वकम्बलास ।
अमोधांका मिनीश्या मांतथैवबान््या:सहखशः 1१५
प्रत्नाष्यायु:समंपूर्वेरत्तापिभगवान्हरिः ।
बराहरूपीपादोस्यहृत्यू७ पाश्व तप्तथा ॥१६
( मुखेनासादतश्न वकण्ठत:पुच्छतस्तथा ) ।
तिनक्षत्रयुतेदेशेनक्षत्राणियुतानिच ।
इच्येतत्केतुमालंत्तेकथित्मु निसत्तम 11१७
ग्रत:परंकुरूस्वक्ष्येनिवोचेहसमीत्त राचू ।
तत्रवृक्षामधुफलानित्यपुष्पफलोपगाः ॥१८
वस्त्रासििचप्रसू यन्तेफलेष्वः्भ रणानिच ।
सब कामप्रदास्तेहिसर्वकालफलप्रदा: 11१8६
भूमिमंणिमयीवायु:सुगंध:सव्बंदासुख: ।
जायन्तेमानवास्तत्बवलोकपरिच्युता: ॥२०
मिथुनानिप्रसूयल्तेसमकाल स्थिता निर्वा ।
अन्योन्यमनुरक्ताविचक्रवाकोपमानिच 11२१
जित महानदियों के जल का यह लोग पान करते हैं, वे वक्षु, श्यामा,
ऋम्बला, अमोघा, कामिनी सुमेधा सलाम की महानदी हैं, इनके अतिरिक्त अन्य
सहुस्नों नदियाँ वहाँ प्रवाहित हैं ॥१५।। मनुष्यों की आयु वहाँ भी पूर्वोक्त ही
है, उस देश में भगवान् श्रीहरि का निवास बाराह रूप से है, उनके चरण,
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