हिगुल प्रकरण व सिंदूर प्रकरण | Hingul Prakaran Sindur Prakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)17 “माया प्रकरणुट
आप कप मियां
मायोत्पनादविश्वासा-न्मुखामृतो5पि मानुष
परेसद्मप्रवेश चं, नाप्नुयात् श्वानवृत्सदा ॥१॥
प्र4-मुझ से मीठा वचन बोलने वाला ऐसा मनुष्य कपठ
से उत्तप्न हुए प्रविष्यास से हमेशा कुत्ते के समान दूसरे के घर
में प्रवेश पा नही मवता 1 १ ॥ - ,
न क्त
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बच्चना पठित शास्त्र, तदनरथाय केवलेमू ।
आओ सन ज रत शत १ श््
हरिभद्वस्य शिप्याणां, फल किमुत न भ्रूतम् ॥शा।
1
ग्रय--गपट में पढा हुया शास्त्र केवल भ्रनथ ही करेगा
परमावि उससे थी हरिभद्वाथाय महाराज के शिप्या को जो फल
मिला बह प्रापने शास्था मे दंदु। होगा ॥ ३ ॥॥
मायथा यत्तयस्तप्त- महारलेन साघुना ।
स्थोवेदों द्यजितस्तेना भुक्तो महलीभवेच स' ॥3॥ ६ *
पधष--महायल भाघु ने ली जद बषट से तपस्या थो थी
उससे उसको रतीबेद उपाजन विया भौर यह स्त्रोवेद उमयो
थी भत्तीयाय विनेश्वर थे भव में भागा पढ़ा ॥ 8 ॥
दामीपुच् 'पुर॒त” फपिसदत्ति मरेबंधमानो5पि दार,
एीाययतओ घधि। त्वी पटुतरक्षा तैनिद्यमान समतान् ।
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