समयमातृका | Samayamatrika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Samayamatrika by क्षेमेन्द्र - Kshemendra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about क्षेमेन्द्र - Kshemendra

Add Infomation AboutKshemendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
६ समयमातृदा पर कामदेव वी वन्दियधू अथोत्‌ रामदेंर के यश को गानेयाली बन्दिनी खी रूप मेसला ( करघनी ) क्‍यों नहीं मद्गल दा गान कर रही है ? है कुशाही ' झामदेव रे यश की तरह कास्ति याले अथौत्‌ घवल कपूर- प्रिप्रित चन्दन ये रस से तुम्दारे अन्न क्यों नहीं लिप्त दूँ अर्थात्‌ तुम्दारे अद्ञप्रसाधन के न करने का कारण क्या है १॥ १४॥ प्राप्त॑ पुरः प्रदुरलाभम्संस्पृश्नन्ती भायिप्रभूतरिमयाय_ छृतामियोगा । कि क्ेनविस्सुचिस्सेयननिप्फलेन मिथ्योपचारयचनेन न वश्ितामि ॥ १५॥ अविप्प में प्राप्त हान थाली प्रभूत सन्पत्ति के लिये प्रयतशीन अत सम्मुस प्राम् अचुर लाभ को भी न छूतो हुई अधोन्‌ सामने आप हुए प्रयोग घन को भी ठुकराती हुई तुम बहुत दिन तक सेवन करने ऋ 3 आप नि + २ बाद भी नि फल सिद्ध होने वाले सिमी के व्यथ चाडुकारितापूर्ण बचनों से कया नहीं बब्ित की गई हो ? अथीन्‌ अरश्य ही तुम किसी चाडुकार के द्वार ठग ली गई हो ॥ १५॥ लोभाह॒द्वीतमग्रिभाव्य भय॑ भयत्या दर्पोग्गरदर्शितमश्द्धिवया संस्रीमिः । दर्च॑ तवाप्रतिममामरणं सृपाई ० > 1३. श चौरेण ऊफ्र प्ररूपितं नगराधिपाग्रे ॥ १६ ॥ किसी प्रेमी के द्वारा प्रदत्त, राजाओं (घनिरों) ये परनने पे चेग्य, अप्रतिम, आमभूषणों हे रिपय मे, चिन्‍्दें फ्ि तुमने त्ोभ के सारण बिना क्स़ी भय हीं चिन्दा ज़िप्रे नर उरपंब्श .निशर होझर अपनी सस्ियों के समनश्न दिसलाया था, झ्सी चोर ने नयर के अधियति के समल कद्द दिया है ज़्या 71 १६॥॥ टिप्पणी--सप्ति्रों के समक्ष आमफप्ते के दिसलाने में इलावसी! शामझ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now