दानशासनम् | Dhanshasanam

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Dhanshasanam by महर्षि वसु - Maharshi Vasu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३२३५९ अदुब्धदाता १७८ ` १६. ३३६ पात्रसेबाफल १७८ १७ ३१७ उत्तमक्षम। . * ` ` १७९ १२८ ३३८ गृदुवचनमाह ः १८०' ' १९ - ३१९ शक्तिमाह कर ८०-८१ २०-२१ ३४० दातपात्रफयमाद ^ ¢ १८१-८२ २२-२६. ४१ झुधा कैसी दे ० दद्ध = शक ३४२ मुनिगण आदार किसगस्ति छेते हैं ` १८३ ˆ २८ ३४२ भोजनके समयःमौन क्यो घरनाचादिष्‌ -१८४ २९ ३४४ मौनगुणमार < १८४ ३०-३२ ३४५ मौनका उपदेश १८५ ३३ ३४६ पतित्रताके समान पुण्यवच॑नको दीं बोले १८६ १४ ३४७ राख दी बोडने सुनने योग्य हे १८६ २५ ९४८ मौनधारो कौ सदा प्रराकहाकफरते दै. ` १८६ *३६ ६४२. पाठान्तर १2७ ` ` ३७ ४५० भोजननिविद्धप्थान १८५७ २८ ३५१ दाननिपध ` १८८-८९ २९-४० ४५५२ भोजनान्तराय ~ १६९-९० ४१-४२ . ३५२ आदारक समय दया १९० ४२.४४ ३५४ निर्दोष तपम कल्पदृश्चके समान हे १९१ ४५ १९१ ४६ २५५ प्रतीकदानमाह ४५५६ पुण्यवृद्धि के टिए सदा दान पूजादि न . यरते दें '. *१९१-९२ ह७-एट ३५७ कार्य को विचार कर दी करना चाहिए १९२ ४९. ३८ सावुबवोंको दिल खोदकर दान देखें १९९६ ५०




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