वकील साहब | vakil Sahib
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.81 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २९ )
( हेंसते हुए ) शारदा सैर को सा सेर आज मिला है...
झारदाः:--( सूत कातना रोककर, वकीक को ) तो भसाठी
भईकों आप वेवकूफ समझते है. ! हि
चकीछ.--( वकील और भंडारी एक दूसरे की ओर देखते है. )।
क्या वात कहीं है शारदा तुमने इस वक्त * क्या पेच फेंसाया है. *
मंडारी.--फिर मत कहना वकील साहब, कि हम ही बरिस्टिर
है | आज तो बगैर डोरेसे मुद्द सी दिया है शारदा बेनने ।
शारदा --आप तो हमेशा वापू और उनके साथियों का मजाक
ही किया करते है । भला. यह तो वतकाइ्ये कि शादी के वक्त वापस
आपने जो बादे किये थे, उन्हें आप कहा तक पूरा कर रहे है |
दकीछ.--छो, यह भी खूब कही । वापूके सामने हमने वादे
किये थे. वे सिर्फ तुमसे शादी करने के लिये और तुमसे गादी कर ढी ।
चारदाः--और वाएूको वेवकूफ बना दिया।
_ वकीठ --वस यहीं तो नासमद्ची है. शारदा । भा, मैं बापू को
बयकूप, चना सकता हू * और किर्सीन बनाया भी तो भला बापू वेव-
कूफ बन सकते है ८ अर वापूतो इन सब वातो से और तुम हम सब
सम एवम अलग हनी हैं|
शारदा -- आप झट
दा भी कहिय छेकिन वादा करके उसे तोडना
अर्टी बात थाड ही है ?
बढोत उएगही नमझने की वान हैँ-जा (हाथ का इशारा
पात हुए ) एसी साफ है. लेकिन कोई समझता ही नहीं |
शारदा -- ( उत्तेजित हो कर । कया नहीं समझता ?
दवीत एए( उसको उत्तेजित देख कर) खैर, समन्न लो; मैन
गे वा | लॉगिन ऐसे-एसे महापुरुप भी नो है. जो चादी के वक्त वाघू
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