रोटी हँसे | Roti Hanse
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
761 KB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिक्का नही है आबरू
सिक्का नहीं है आवरू,
और न पधिक्कों पर मिलती है।
तुम या तो बटोर सकते हो सिक्के,
या सिक्कों पर खरीद सकते हो जरूरत की चीजें।
आबरू ली नहीं जाती,
पैदा की जाती है
और इसका पैदा करना
सन््तान पंदा करने-सा नहीं है
समय की भटूटी में गलती है नीयत
आबरू नही गलती है ।
सिक्का नहीं है आवरू हज ल+
आवरू सीता की तरह राम के साथ वन जाती है,
द्रोपदी की तरह चीर खिंचवाती है,
गांधो की तरह गोलियाँ खाती है,
क्रास पर ईसा की तरह चढती है,
शहीदों के कान्धे चढ़,
कबेला में ढलती है,
आवरू
अवसर देख,
झंडों की तरह नही हिलती हैं
सिक्का नहीं हैं आबझ ४ “४
१७ का रोदी हेँसे. ..
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