आचार्य सायण और माधव | Acharya Sayan Aur Madhav

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Book Image : आचार्य सायण और माधव  - Acharya Sayan Aur Madhav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सायण-पूर्व भारत १्ज विशालकाय हरिहर का मन्दिर बनवाया | इसमें हरि तथा हर उभय देवताओं का सम्मिलित विग्नह स्थापित किया गया था। शिलालेखों में लिखा है कि कुछ लोग बिष्णु को श्रेष्ठ मानते हैं और अन्य लोग शिव को मनुष्यों का सब से उपकारी तथा मान्य देवता मानते हैं परन्तु इन दोनों में किसी प्रकार का अन्तर नहीं है | इसी एकता को सिद्ध रखने के लिए यद्द हरि-हर का मन्दिर स्थापित किया गया है। जैनधर्म के प्रति इन राजाओं की बड़ी श्रद्धा थी। राजा विष्णुवर्धन के सेनापति गद्लराज ने अपने मालिक की इच्छा से अनेक जैन भन्दिरों को दान दिया। सायण-पूर्व दक्षिण भारत की यही धामिक विशेषता थी--धार्मिक सहिष्णुता तथा धर्मों में पारस्परिक सहयोग था। बिजयनगर के सम्रादों ने इस विशेषता को अंपने होयसल वंशी-नरेशों से सीखा था परन्ठु इसका अत्यधिक उत्कपं दिखलाकर इसे उन्नति की चरम सीमा पर पहुँचा दिया | श्री वैष्ण॒ध धर्म का प्रधान केन्द्र यादवपुर (मेलुकोटे) था। आचार्य रामानुज ने यहीं निवास किया था अतः यहाँ एक बड़ा मठ स्थापित किया तथा इसी स्थान से श्रीवैष्णव धर्म का इस देश में सर्वत्र दुत मत का. प्रचार होने लगा | दंत सम्प्रदाय की उन्नति भी इसी समय म्चार हो रही थी । पाठकों से यह अविदित नहीं है कि दौत मत के उद्धावक आनन्द तीर्थ (मध्य या पूर्ण प्र) का जन्मस्थान कर्नाटक देश में ही है। उन्होंने प्रस्थान त्रयी पर अपने मत के अनुकूलभाष्य लिखकर द्व त वेदान्त का खूब प्रचार किया | इनके सेंतीस ग्रन्थों में कतिपय विख्यात ग्रन्थ ये हैंः--(१) बक्ृतूल भाष्य, (२) अल॒व्याख्यान (सत्रों की अलव्पाक्षण इचि) (३) गीताभाष्य, (४) महाभारत तात्पर्य निणय, (५) भागवत तालये निणय, (६) उपनिपद्भाष्य | इनका आविर्भावकाल १२४६ सं०--- १३६० सं० (११६६ ई०--१३०३ ६०) माना जाता है। इनके चार शिष्य हुए जो क्रम से इनकी गद्दी पर बैठते रहे । इनके अनस्तर इनके प्रधान शिष्य पद्मनामतीय गद्दी पर बैठे। ये बड़े सात्विक पुरुष थे | इन्होंने मध्याचाय्य के द्वारा लिखे गए अनुव्याख्यान? नामक ग्रन्थ पर न्याय रक्नावली नामक टीका लिखी जो प्चनाम पारवाड़ से प्रकाशित हुई है । इनकी स्तुति में जयतीर्थ तीथ॑ नेज़ों श्लोक लिखे हैं उनसे इनके वैराग्य तथा भगवद्‌- सक्ति का पर्यात परिचय मिलता द। वे इलोक ये हैं:--




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