ध्वनि - अभिलेखन | Dhwani - Abhilekhan

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Dhwani - Abhilekhan by क्लेमेंट ब्राउन - Klement Braun

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भिन्‍न यंत्रों में अच्छे सन्‍्तुलन का अनुभव होता है'। यदि अभिलेखन ऑपेरा या ठक का है तो कलाकारों की गति आसानी से पहचानी जा सकती है...वे (उडस्पीकरों के बीच में तथा पीछे चलते हुए प्रतीत होगे । इसका अर्थ है कि ता के श्रवण तत्न को फिर से कुछ कार्य करना होगा और वह कल्पना कर कता है मानो वह स्वय नाटक या अपेरा में उपस्थित है । परिशुद्धि के लिए *यह बता देना उचित होगा कि ऊर्ध्वाधर गति का रुत्पादन नहीं किया जा सकता | स्टीरिगो का 'स्ंदर्शी' या विस्तृत प्रभाव तिज समतल तक ही सीमित है । यहाँ आपको यह याद दिला देना भी ठीक रेत क्षेत्र में स्थित श्रोताओं को लाउडस्पीकरों के बीच होने वाली गति का आभास होता है । गा कि स्टीरिओ त्रिविमितीय (3-0) से भिन्‍न है। वास्तव में यह कहना मुश्किल कि त्रिविमितीय प्रभाव कंसे उत्पन्न किया जा सकेगा । अन्त में ध्यान रखें कि स्टीरिओ के लाभ गायक मंडली या ऑपेरा तक | सीमित नही हैं। दो वाहिका वाला सिद्धान्त प्रयुक्त करके अच्छा स्वरक त्पन्न करना सम्भव है और यह प्रगति वाद्य तथा कक्ष-सगीत, जाज तथा हल्के गीत, एवं अन्य प्रकार के संगीत में भी छाभदायक है। अनुभव के आधार पर ता चला है कि स्टीरियो की सहायता से बाहुर खुले स्थान की घटनाओं में स्तविकता का पुट लाना सम्भव है। अमिलेखन-स्टूडियो दि आप किसी अभिनेयन-स्टूडियो में-.विशेष रूप से उस समय- देखें जब वहाँ [भिलेखन-कार्य चछ रहा हो, तो आप कहेंगे कि यह तो संगीतझारा और प्रयोग- 25




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