भोजप्रबन्ध | Bhoj Praband
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बन [ पृ1 ८] जू॥ रह | छू प६७ ६३ । 3. 5.
का
अनन्तर वत्सराज समयानुसार कार्य करना चाहिये यह विचारके चुप
'होगये | जब सूर्य छिपने छगा तो ऊँचे महरूसे उतरतेहुए क्रोधित यमराजकी
-समान वत्सराजकों देखकर समी समासद भयभीत हो अनेक बहानेंसे
अपने २ घरोंकों जाने रंगे | फिर वत्सराजने अपने घर्का रक्षाके लिये
'नीकरोंकों भेज भुवनेश्वरी देवीके मन्दिरके सामने रथकों खड़ा कर भोजकों
_“ढानेवाले पण्डितको बुढानेके निमित्त दूत भेजा । दूतने जाकर पंडितसे
कहा, हे महाराज | आपको वत्सराज बुढाते हैं | इस बातकों सुन वज्ञसे
_ हतहुएकी समान, भूतचढेकी समान और ग्रहोंसे प्रते हुएकी समान उस
दूतके द्वारा हाथ पकड़े हुए पंडित आया । उस पंडितकों प्रणाम करके
बुद्धिमान् वत्सराजने कहा, है पंडितनी महाराज | विराजिये राजकुमार
जय॑ंतको पाठशालासे बुकाइये । राजकुमार जय॑तके आनेपर कुछ पढ़े हुए...
पाठकों पूँठकर वापिस मेज दिया | फिर पंडितसे कहा, महाराज | अब
. भौजको बुराइये तब सब समाचारको जाननेबाछा भोज क्रोषसे जछूते हुए...
छाढ नेत्र किये आकर बोला । है पापी | राजाके मुख्य कुमारकों अकेके
-शजभवनते बाहर छे जानेकी तुझमें क्या सामथ्य है ? ऐसा कह बायें
चेरणकी खडाऊंको निकाछ भोजने वत्सराजके शिर्में मारी । तब वत्सराजने
. कहा, हे भोज ! में राजाका आज्ञाकारी हूँ, यह कद बाछक ( भोज ) को.
- -शथमें बिठाल खड़को म्पानसे निकालकर देवीके मंदिरपर पहुंचा | तब मोज
-धकडागया ऐसा कहते हुए छोग कोछाहछ मचाने ढगे, हूँ क्या है ! क्या है ![
क्या हुआ !!! इस मॉँतिसे ऊँचे शब्दद्वारा पुकारते हुए शूरवीर योघा शीघ्र
आये । भोजका मारनेके लिये पकडा है यह जानऋर हस्तिशाला, उ्टशाल
और अश्वशारामें घुसकर सबको मारने छगे । फिर गलियोंमें, राजमहरूको
खाई, किलेके पास, शहरके दरवाजोंके सम्मुख, नगरके निकट भेरी
ढोल, मृदंग, डमेरू, मड़डू और तम्बूरे आदिके शब्दसे आकाश गूंज
गया । तब कुछ मनुष्य तीक्ष्ण तल्वार्से, विषसे, मालेसे, फॉसीसे
आगमें जलकर, फरसेसे, बरछीसे, तोमरसे, खँँडेसे, जरूमें ह्बकर और
-घुथ्वीपर -गिरकरही ब्राह्मण, खत्री, राजपूत, राजसेवक आदि बगरवारसी
जन अपने २ प्राणोंकों खोने छगे | फिर सावित्री नामबाली भोजकी माता
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