मुद्रित जैन श्वेताबरादि ग्रंथ नामावलि | Mudrit Jain Swetabaradi Granth Namavali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवेदन, _कस्माधटया) दें; सकी पानमना. कु - श्रीमद्‌ बुद्धित्ागरण्रि गंयमाठा ग्रंथांक १० शक भाव अ्वेतांवरादि मुद्रित ग्रंथ नामावक्ति (,गाहद ) बांचफोना करफमंल्मां सादर करतां हपे थाय छे से, १९८० ना चैत्र मासमां. सुर खाते भरायेली श्री मेन साहित्य परिषदूना ठराबो पर आचाय महाराज थ्रीमद्‌ बुद्धिताग- * “री महाराज समक्ष पेधापुर सुकासे चर्चा चालतां परिपदुना ब्रीजा /ठरावना सम्येनमां विश्वमां छपायेला जेन ग्रयोनी पद्धवीसरनी एक - नाम्रावल्ि तैपार कराशवानी सूचना श्री . अध्यात्म ज्ञानपप्तारक - मंढकना कायवाइकोने करता गुरुभी नो आदेश मंढछे शिरोघायय कर्यों आ काय मादे दिद्वानोने रोकी मोदां मोठां शहेरोना भडारोनां पस्तक्ोनी यादीओ लेक भेडायो तपास्ताववा जरुरी जपायुं. आ भाटठे पैस्तानी अने सारा विद्वाननी जरुरीआत हती, प्रण पंढ़के ते फाये उपाढंयु अने इंढरं वासी वकील वर्षमान सस्पचद जेओ आ - कार्य माटे योग्य जणाया तेमने सारा प्रगारे रोक्‍्या अने.- महाराज- श्रीनी छचना प्रमाणे बडोदरा अप्दावाद घरत बविगेरे सारा सारा मोटा भंडारो त्यां जाते जह तपासी परी आब्यों वेदों पुस्तकों लौीस्ट तैयार करवामा आव्युँ आ फारये एटल विज्ञा छे, भारतवपे अने बहार एटछा दा भंदारों ७ के जुदी जुदी संस्याओए आ कार्यों उपाढी, अनेक विद्वा- ” नो रोकी कक्षाववी रुपीआनो खचे करी आबी अनेक नामावछोओ तैपार.फरी आवस्पक छे, जेसलमेर, काठीयावाद माखाद मेवाद जोधपूर उदेपूर फच्छ महाराष्ट्र ने सुजरातमां अनेक मंडारों अमूल्य ' पूस्वक्रोना भर्या पड़या छे, केंटछा पधा प्रयासों करा जरुरी डे दे अप्रने,आ काये उयाडया पछी., प्रतित ययुं छे, |




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