मुद्रित जैन श्वेताबरादि ग्रंथ नामावलि | Mudrit Jain Swetabaradi Granth Namavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
426
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निवेदन,
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- श्रीमद् बुद्धित्ागरण्रि गंयमाठा ग्रंथांक १० शक भाव
अ्वेतांवरादि मुद्रित ग्रंथ नामावक्ति (,गाहद ) बांचफोना करफमंल्मां
सादर करतां हपे थाय छे
से, १९८० ना चैत्र मासमां. सुर खाते भरायेली श्री मेन
साहित्य परिषदूना ठराबो पर आचाय महाराज थ्रीमद् बुद्धिताग-
* “री महाराज समक्ष पेधापुर सुकासे चर्चा चालतां परिपदुना ब्रीजा
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- मंढकना कायवाइकोने करता गुरुभी नो आदेश मंढछे शिरोघायय कर्यों
आ काय मादे दिद्वानोने रोकी मोदां मोठां शहेरोना भडारोनां
पस्तक्ोनी यादीओ लेक भेडायो तपास्ताववा जरुरी जपायुं. आ
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फाये उपाढंयु अने इंढरं वासी वकील वर्षमान सस्पचद जेओ आ
- कार्य माटे योग्य जणाया तेमने सारा प्रगारे रोक््या अने.- महाराज-
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तैपार.फरी आवस्पक छे, जेसलमेर, काठीयावाद माखाद मेवाद
जोधपूर उदेपूर फच्छ महाराष्ट्र ने सुजरातमां अनेक मंडारों अमूल्य
' पूस्वक्रोना भर्या पड़या छे, केंटछा पधा प्रयासों करा जरुरी डे दे
अप्रने,आ काये उयाडया पछी., प्रतित ययुं छे, |
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