यजुर्वेद का स्वाध्याय | Yajurved Ka Swadhyay

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : यजुर्वेद का स्वाध्याय  - Yajurved Ka Swadhyay

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

Add Infomation AboutShripad Damodar Satwalekar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
परमेखरके आनंदकारक रक्षणख्रभावका चिंतन । १७ (४) कस्यावनशीठुत्वस्य चिन्तनम्‌। ( ऋषिः--वामदेवः । देवता--इन्द्रः ) कर्या नश्चित्र आ अुंवदूती सदाईधः सर्खा ॥ कया शचिंप्रया वुत्ता ॥ ४ ॥ कस्त्वां स॒लयो मर्दानां मधदिंप्री मत्सदुन्ध॑स: ॥ दृढा चिंदा55रुजे बसु ॥ ५ ॥ (चरेण्यं ) श्रेष्ठ ( भ्गेः ) तेजका हम सब ( घीमहि ) 'ध्यान करते हैं । (यः ) जो ( नः+ घियः ) हमारी बद्धियोंको ( प्रचोद्याद, 9 चिरोप प्रेरणा करे अथवा करता है ॥ भावार्थ-तीनों कालों मे एकरूप रहनेचाले, ज्ञानस्वरूप, अकाशानंदमय, जगदुत्पादक और मेरक ईश्वर के श्रेष्ठ तेज का हम सब ध्यान करते हैं, क्यों कि वही ईश्वर हम सबकी जुद्धियोंको निदोप प्रकारसे प्रेरणा करनेवाला है । [ ४ ] (४) परमेश्वरके आनंदूका रक रक्षणस्त्रभावका' चिन्तन | अथे--उ( सदा-दधः ) सदासे महान और ( चित्र: ) आश्चयंकारक इंश्वर ( कया ऊती ) कल्याणमय रक्षणके द्वारा, ( कया दाचिष्ठया 0) कल्याण- मगर महादक्तिद्वारा, और ( दूतता ) आवर्तन अथौत्‌ वारंवार कर्म करने- द्वारा ( नः ) दम सबका ( सखा .) मित्र ( आ भ्रुवव्‌ ) होता है'। भाचार्थ--सब काठमें सबसे श्रेष्ठ, सबसे विजक्षण इंश्वर, कल्याणकारक * रक्षण के द्वारा और अपनी आद्हादुदायक महादाक्ति के तथा वारंचार कर्म करनेके सामध्यैके साथ हम सबका मित्र होता है 1.अथोद मित्रके समान हम सबका भला करता हे । [५ पु अर्ध--( ५ ) हे डर ! दूं. ( अन्यला ) जन्नादि भोगोंके ( मदानां ) आनंदोंसे भी ( मंहिप्टः ) अधिक आनंद्कारक और (सलाः ) * इस मंत्रमें “नः” ( दम सबकी ) यह शब्द, समुदाय, जाती; समाज भर्थात्‌ अनेक मनुप्योंके सत्संग का बोधक है । सामूहिक उपासना इससे सिद्ध होती है। शांति ९




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now