परमात्मप्रकाशः | Parmatma Parkash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
380
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न
इस संस्कृत टीकाके अनुसार ही पंडित दोलतरामजीने त्रजमाषा बनाई । यंत्रपि उक्त
पंडितजीक्ृत भाषा प्राचीनपद्धतिसे बहुत ठीक है. परंतु आजकलके नवीन प्रचलित हिंदी-
भाषाके संस्कारकमहाशयोंकी दृष्टिमें वह भाषा सर्वदेशीय नहीं समझी जाती है | इस कारण
मैंने पंडित दोलतरामजीकृत भाषानुवादके अनुसार ही नवीन सरल हिंदीभाषामं अवि-
कल अनुवाद किया है । इतना फेरफार अवश्य हुआ है कि उस भाषाकों अन्बय तथा
भावार्थरूपमें चांट दिया है । अन्य कुछमी न्यूनाधिकता नहीं की है. । कहीं लेखकोंकी
भूलसे कुछ छूटगया है उसको मी मैंने संस्क्ृतटीकाके अनुसार संभाल दिया है ।
इस ग्रंथका जो उद्धार खर्गीय तज्ञानी श्रीमान् रायचंद्रजी द्वारा खापित श्रीपरमश्रुत-
प्रभावकमंडलकी तरफसे हुआ है इसलिये उक्त मंडलके उत्साही प्रबंधकर्ताओंको कोटिशः
धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने अत्यंत उत्साहित होकर अंथ प्रकाशित कराके भव्य जीवोंको
महान् उपकार पहुंचाया है। और श्रीजीसे प्रार्थना करता हूं कि वीतरागप्रणीत उच्च श्रेणीके
तत्त्वश्ञानका इच्छित प्रसार करनेमें उक्तमंडरू कतकार्य होवे ।
द्वितीय धम्यवाद श्रीमान् ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजीको दिया जाता है कि जिन्होंने
इस अंथकी संस्कृतटीकाकी प्राचीन प्रति छाकर प्रकाशित करनेकी अत्यंत प्रेरणा की ।
उन्हींके उत्साह दिलानेसे यह अंथ प्रकाशित हुआ है ।
अब मेरी अंतमं यह प्रार्थना है कि जो प्रमादवश दृश्टिदोषसे तथा बुद्धिकी न्यूनतासे
कहीं अशुद्धियां रह गईं हों तो पाठकगण मेरे ऊपर क्षमा करके शुद्ध करते हुए पढें क्योंकि
इस आध्यात्मिक अंथमें अशुद्धियोंका रहजाना संभव है । इस तरह धन्यवादपूर्वक प्रार्थना
करता हुआ इस प्रस्तावनाको समाप्त करता हूँ । अरूँ विज्ञेषु ।
खत्तरयली हौदावाड़ी ) जैनसमाजका सेवक
पो० गिरगांव-बंबई ( मनोहरलाल
वैशास बदि ३ वी० से० २४४२ पाढम ( मेंनपुरी ) निवासी |
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