आस्था के शिलालेख | Astha Ke Shilalekh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
993 KB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पथ चिन्ह
कोलाहल के दूर एकान्तता में डूब जाता जब मन
स्व के निकट श्राकर सोचता मेरी बात
चेतना के भ्रतल के सुल जाते चक्षु
हो जाता मैं महायृष्ठि का विस्तार
अधिक्षत भ्रह चेतना के ढू ढता प्रतिमान
प्रामाणिक मैं-वोध के रचता मैं सूत्र
चाहता करना सृजित मेरी भावाइति वी प्रतिमा
चाहता मेरी पहिचान के शिल्प, पथ और रग
हो सके जो मेरा प्रतिरूप और मै का प्रतिमान
मैं की अधिकृत भावभूमि पर ही उगते सत्य भर श्रेयस् के बिम्ब
दरिदगी का विश्व देता मुझे सताप
आत्मघाती ग्रुग करवाता मुभम पआात्महत्या
नही होना चाहता मैं पर मेरा शून्य
मैं चेतना मे गू जता है मेरा प्रामाणिक जीवन स्वर
ही जाता हैं मैं प्रेतीय विश्व का प्रतिरोध
नहीं मैं “मैं! का व्याकर्णीय बोध
तीड दी है मैंने सम्पूण दोवारे
मैं सृष्टि भाव सा अनत
मैं हें देह-चेतवागत व्यष्टि इकाई
बही है मेरी अनुभूति, विचार और जीवन का केन्द्र
उसी मे चाहता हूँ मैं ग्रमृत रस-घारा का कलक््ल
चाहता हूँ हर जीवन में पीयूष रस का आप्लावन
मैं हें मेरी अस्तित्व समग्रता का प्रतीक
ओऔर/ग्सख्य कोपीय प्रक्रियाओं का सश्लेषण
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