सूदबुद सब लंगाकी वारता | Sudbud Sab Langaki Varta

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सूदबुद सब लंगाकी वारता  - Sudbud Sab Langaki Varta

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
“प्रथम प्रकाश (९) २५ चंद्रायणों 'दघ कपडीथपथापियाँ लाचण 'ठगीनिसंक ॥कमरलचकीकामणी भँवरबजाइपंस भँवरवजाईपंसमिचीज्योकंचली . ॥ रंभामोंडेअं गअसूंज्योज॑चठी ॥ ठीलीपदमसणनार ॥ यादपिव आइयो॥परिहापव्यौरंगमें बंगक इंद्ररिसाइयो ३६॥। ॥ अँवरोवेठोकंचुवे पांच रखो भरणाय ॥ मुफ्त घरयोपुनिषंध्षें तोहि जातसुवावनजाय ॥ ३७॥ ॥ वात ॥ रंभानिशंकविरतकरेछे ॥ औरलंच ककबांगज्यूंछुठेछे ॥ अपरकंचुवेअसुजियोंकि ॥। पंसभणकारपेंगूंजियौछे ॥ तरेबवरयादआयो ॥ रंभानाचतीढीलीपडी रंगमें अंगपव्यो ॥ जरे इन्दू कोपनेंजठुदताठकरवाई - तरेरंभावाजंत्रौनेंदीदीक हेछे ॥ दोहा ॥ चर्णीगइंधौडीरही ॥ जांगें छिन छिननायं ॥ पातरकरेपखावजीटुकियेकमजुख जाय ॥ ३८ ॥ बातों ॥ रंभावाजंजॉनेंकरेके ॥. हेवाजंतरों. - रातवर्णीतोगढ़े औरथौडी रहदीछे ॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now