भगवद्गीता यथारूप | Bhagwadgeeta Yatharoop

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Bhagwadgeeta Yatharoop by ए० सी० भक्तिवेदांत - A. C. Bhaktivedant

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अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है,सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। आज संपूर्ण विश्व की हिन्दु धर्म भगवान श्री कृष्ण और श्रीमदभगवतगीता में जो आस्था है आज समस्त विश्व के करोडों लोग जो सनातन धर्म के अनुयायी बने हैं उसका श्रेय जाता है अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को, इन्होंने वेदान्त कृष्ण-भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय संप्रदाय के पूर्वाचार्यों की टीकाओं के प्रचार प्रसार और कृष्णभावन

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृष्णकृपाश्रीमूर्ति श्री श्रीमद्‌ ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद द्वारा विरचित वैदिक ग्रंथरत्न : प्रीमदृभगवद्गीता यथारूप श्रीमद्भागवतम्‌ स्कन्ध १-9२ (9८ भागों में) ध्रीचतन्य-चरितामृत (७ भागों में) भगवान्‌ चैतन्य महाप्रभु क्रा शिक्षामृत श्रीमक्तिरसामृतमिन्धु श्रीउपद शामृत श्रीईशोपनिपद अन्य लोकों की सुगम चात्रा : क्रृष्णभावनामृत सर्वोत्तम ब्ोगपल्‍्रति लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण प्रश्न पृर्ण उत्तर इन्द्दात्मक अध्यात्मवाद : पाश्चात्य दर्शन का बेदिक दृष्टिकोण देखहूतिनन्दन भगवान कपिल क्रा शिक्षाम्रत प्रच्वाद महाराज की दिव्य शिक्षा ससराज श्रीकृष्ण जीचन का स्रात जीवन याग की पूर्णता जन्म-मृत्यु से परे श्रीकृष्ण की ओर कृषण्णभक्ति की अनुपम भेंट रामबिद्या कृष्णमावनामृत की प्राप्ति पुनरागमन : पुनर्जन्म का विज्ञान गुर तथा शिष्य सिलछि-पथ आत्मान्वेषण की यात्रा दूसरा अवसर श्री व्रद्म-संहिता हरे कृष्ण चुनोती प्रचार ही सार है भगवददर्शन पत्रिका (संस्थापक्र) अधिक जानकारी तथा सृच्रीयत्र के लिए लिखें: भक्तिदेदान्त बुक ट्रस्ट, हरे कृष्ण धाम, जुहू, मुंबई ४०० ०४९ भ




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