गीत रवीन्द्र अमर के गीत | Ravindra Amar Ke Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
573 KB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रवोन्द्र भ्रमर के गीत
छठ
एक पल निहारा तुम्हें
एक दुख रीत गया।
वारी तुम्हें एक दृष्टि,
मिली अमित सुधा सृष्टि,
एक ज्ञण दुलारा तुम्हें--
एक युग बीत गया ॥
वंशी के पहले स्वर,
गूंज गये भू अम्बर,
एक शब्द वारा तुम्हें
गरुन एक गीत गया।ध
तन के मन के श्रपेण,
बने प्रीत के दर्पण,
एक दाँव हारा तुम्हें
एक जनम जीत गया ॥
एक पल निहारा तुम्हें
एक दुख रीत गया ।।
हा
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