गीत रवीन्द्र अमर के गीत | Ravindra Amar Ke Geet

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Ravindra Amar Ke Geet by रविन्द्र अमर - Ravindra Amar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रवोन्द्र भ्रमर के गीत छठ एक पल निहारा तुम्हें एक दुख रीत गया। वारी तुम्हें एक दृष्टि, मिली अमित सुधा सृष्टि, एक ज्ञण दुलारा तुम्हें-- एक युग बीत गया ॥ वंशी के पहले स्वर, गूंज गये भू अम्बर, एक शब्द वारा तुम्हें गरुन एक गीत गया।ध तन के मन के श्रपेण, बने प्रीत के दर्पण, एक दाँव हारा तुम्हें एक जनम जीत गया ॥ एक पल निहारा तुम्हें एक दुख रीत गया ।। हा र्श्‌




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