मछलियां ठहरे तालाब की | Macchliyan Thehre Taalab Ki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
448 KB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मासी मां
मासी मां से--मौत
वृर-दुर भागती है
पूरी शताब्दी जीने का इरादा ।
-ड्रः्खी हैं बेंटे-वहू
कब मरेगी आफत
--अपमान के जहरीले घूंट
पीकर चुपचाप
बीते सुख का अहसास
टटोलती है--मासी मां !
अचानक खामोशी ओढ़
सो गई मासी मां
गला फाड़ रोने लग्रे
बेटे-वेटी जोर से
पूरा घर दुःखान्त नाटक में डूबा था
हँसकर खेलते थे--शिशु अबोध दो
मौत से अनजान
जानते नहीं क्यों सोई है मासी मां ?
बिलख-घिलख वबहुएं
मागती है माफी
कल तक मरने की करती थी
मनोती--
मछलियां ठहरे तालाब की / 27
User Reviews
No Reviews | Add Yours...