अढ़ीछीपना नकशानी हकीकत | Aadichipna Nakshani Hakikat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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No Information available about श्रावक नीमसिंह मनके - Shravak Nemsingh Manke
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रदीघछ्ीपना नकशानी हकीगत- ११
बीजा देखाडेढे. तिहां निषधपवत उपरथी सीतोदा नदी एथवी उपर पढ़ेढे ते प्रथम
झहथी बीजा, त्रीजा, चोथा अने पांचमां झहमां पडेढे तिहां पढ़ेलो निषधडह,बीजो
देवकुरुदह, त्रीजो सरप्रच८ह, चोथो सुलसऊह अने पांचमों विद्युव्प्रज् कह छपाच
झह मूकी पढ़ी आगल् चाल्ीजे माटे ए पांच कह जाएवां. तेमज नीलवंतपवेत जप
रथी सीतानदी धरती उपर पड़ेडे ते प्रथम उहथी बीजा, त्रीजा, चोथा, पाँचमांसां
पमीने आगल चाली ते पांच कुंडटहनां नाम कहेढे प्रथम नीलवंतझढ, बीजो उत्तरकु
रुदह, त्रीजो चंछऊह़, चोथो ऐेरवत कह, पांचमों माब्यवंतदह् एरीते ए दस ऊह धरती
उपर ते पूर्वोक्त उ साथे मेलबतां शोल ऊह जंबूदीपमांढे अने तेथी बमणा बत्रीश झह
धातकी खंडमां बे तथा बच्नीश उह पुष्करादनां मल्ली अढीछीपमां ००, झह ढे.
४१ एकवीशमे बोले ऋहनी देवी देव कहेढेः-प्रथम हेमवंत पवेते पद्मऊह बे.
एनां मध्यनां एक मुख्य सहोटा कमल पाढक्ष बीजा लघु कमलनां छ वलयदे, तनां
१५०५० १५० एटला लघुकमल तेणे वींव्युं थक महोटु कमलते ते ऊपर श्री देवी रहेढे
ए पह्मऊह डंडो दस योजन, पहोल्लो पांचसें योजन अने लांबो एक हजार योजनडे
उपर श्रीदेवी रहेग्रे ते खवनपतिदेवोनी जातिछे, हवे बीजो महाहिमवंत पर्चते महा
पद्मझढढे ते पचाश योजन उंडो, हजार योजन पहोलो अने बे हजार योजन लांबोढे,
तेना मध्यना एक मुख्य महोटा कमल पाढल लघु कमलोना बार वल्यद्वे. तेनां
५४१००५४० एटला लघु कमलें वींव्युंडे ते उपर हीदेवीनो निवासब्े- त्रीजो निषध
पर्वते तिगिलक्षिढ़के तेनुं मध्यनुं मुख्य कमल चोवीश वलये वीव्युंढे तेमाँ ४0५००४ए०
एटला लघु कमबढे तिहां श्रीदेवीनो निवासक्वे एनुं एक पद्यायुंठे, ए झह दश यो
जन जंडो, बे हजार योजन पोहोलो अने चार हजार योजन लांबोढे, हवे ऐरवतक्ले
त्रथी शिखरी पर्वत उपर पुंमरिक झहके- ते दहिमवंतना पद्मझहनी मर्यादाये्षे एमां
लक्षीदेवीनो निवासढे एल एक पल्यायुढ्वे. पांचमो रूपी पर्वते महापुंसरिक ऊहछे ते
महाहिसवंत पवेतना महापद्मछहनी मर्यादायेंढे एमां बुद्धिनामे देवीनो निवासछ्े ण्नुं
एकपब्यायुक्वे. ठगे नीलबंत पर्वते केशरीझहले ते निषधपर्वतना तिगिड्िझहनी सर्या
दायेढे एमां कीत्तिदेवीनो निवासढे तेनुं एकपद्यायुद्धे ए छ झह पर्वतो उपरकछे तेनी देवी
॑ कही, ह॒वे एथ्वी जपरनां दश कुंझऊड़के तेमां देवताड॑नां निवासडे तथा जे रीते
वेत डपरे लक्ष्मी देवीनी संकलना कही तेस देवकुरु जत्तरकुरुमां सहोहुं जं॑ यू
ते पण एटल्ेज लघु जंबूइके करी वीटेल्लंढे ते आगल बखसझुं, एरीते जंबूमां 5 देवी
तथा दश देवता, धातकीमां एथी बमणा बार देवी ने वीश देवता, प् असल
देवीने वीश देवता सल्ली अढीछीपमां ऊहनिवासी त्रीसदेवी अने ५ प्यारा डम पिणवार
सदेवी अने पच्चाश देवता जाणवा.-
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