चुने हुए राष्ट्रीय गीत | Chune Hue Rashtriy Geet

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रीय गीत / २५ हरो-भरी फसलें बल पत्ती है मेरे सेतों भे, नहरें अठसेली करती है राजस्थानी रेतो में। वबाध उगलते विजली लोहे को भी गला रहे हैं, शक्ति अभी छोटी है उगली पकड़े चला रहे हैं । उस्नति की पहली सीढी पर पहला कदम पड़ा हैं, प्रजात॒व वो कोस रही है फिर सामती वाणी । आज हिमालय ने मागो है भारत से कुर्बारी । 9 राममनोहर प्रिपाठी




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