कासा पहुडा सुट्टा | Kasa Pahuda Sutta

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Kasa Pahuda Sutta by पंडित हीरालाल जैन - Pandit Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंगलायरणं जयइ धघवलंगतेएणावूरियसयलभ्ु॒वणभवणगणो । केवलणाणसरीरों अणंजणों णामओ चंदो ॥ १ ॥ तित्थयरा चउबीस वि कफेवलणाणेण दिट्ठसव्पड्ा । पसियंतु तिवसरूवा तिहुवणसिरसेहरा मज्ञं || २ ॥ सो जय जस्स केवलणाणुज्जलद॒प्पणम्मि लोयालोय॑। पुठपदिविंवं दीसइ वियसियसयवत्तगब्भगउरो वीरो ॥ ३ ॥ अंगंगवज्ञणिम्मी अणाइमज्कतणिम्मलंगाए | सुयदेवयअंबाए णम्मो सथा चक्‍्खुमइयाए ॥ ४ ॥ णमह गुणरयणभरिय सुअगाणामियजलोहगहिरमपार | गणहरदेवमहोवहिमणेयणय भंगभंगितुंगतरंगं ॥॥ ५ ॥ जेणिह कसायपाहुडमणेयणयम्नुज़्ं अण॑तत्थ॑ । गाहाहि विवरिय त॑ं गुणहरभडारयं बंदे | ६ ॥ गुणहरवयणविणिग्गयगाहाणत्योवहारिओं सब्बो । जेणजमंखुणा सो सणागहत्थी घर देख ॥ ७ ॥ जो अज़मंखुसीसो अंतेवासी वि णागहत्थिस्स । सो वित्तिसुत्तकत्ता जइबसहों मे वर देख ॥ ८ ॥ पणमह जिणवरवसहं गणहरवसहं तहेव गुणहरवसहं । दुसहपरीसहवसह जश्वसहं धम्मसुत्तपादरवसह ॥ ९ ॥




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