षट्खंडागम भाग - 1 | Shat Khandagam Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
606
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय-परिचय (११)
सम्पक्लोतमसिम २०४ से २२० तक, एवं गह्मागतिंम २२० से ३६८ तक सूतसझ्या पाई
जाती है । ऐसी अगस्थार्म हमोरे सन्मुख दे प्रकार उपस्थित हुए कि या तो प्रथमस ठेकर
नौबीं तक सभी चूडिकाओंमें सून्नकमसए्या एकसी चाड रखी जाते, या फिर सबकी अछग
अढग | यह तो यहुत जिसगत बात होती कि प्रतियोंके अनुसार अ्रमम दो चूल्किओंफा सूत्र-
क्रम प्रपफ परथरू रखकर शेपक्ता एक ही रखा जाय, क्योंकि ऐसा करनेफा कोई कारण हमारी
समझमें नहीं आया | प्रत्ले़ चूढिकाका विषय अछग अछग है जौर अपनी अपनी एक
विशेषता रखता है। सूतकारने और तदनुसार टीकाकारने भी अत्येक्र चूलिफाकी उत्पानिका
अलग अढ्ग व्रायी है। अतर्त हमें यही उचित जचा कि प्रस्मेफ़ चूढिकाक़ा सृत्रकम अपना
अपना स्वतत्र रखा जाप | हस्तलिखित ग्रतियों' और प्रस्तुत सस्कणमें सुर्सप्याओं्मे जे| वैषम्प
है बह हस्त पतियों सरयाए देनेगें त्रुटियोंक़े कारण उत्पन्न हुआ है । पहा कुछ सूजोंपर कोई
सपया ही नहीं है, पर तिपयक्री सगति और टीकाफ़ो देखते हुए वे स्पष्टत सूत्र सिद्ध होते
हैं। कहीं कहीं एक ही सरया दो बार छिखी गई है | इन सर झुटियोंक़े निराफणके पश्चात्
जो व्ययस्था उत्पन्न हुई यही प्रस्तुत सस्करणमें पराठकाझों दश्गोचर छोगी। यदि इसमें कोई
दोष या अनपिक्ार चेश्टा दिखाई दे तो पाठक कृपया हमें सूचित ऊरें।
विपय परिचय
प्रस्तुत प्रथ पट्खढागमऊे प्रथम खड जीवस्थानका अन्तिम भाग है. जिसे धलाकारने
चूलिका कहा है । प्रेम कहे हुए अनुयोगेकि कुछ तिपम स्थर्छोफ़ा जहा विशेष विलरण किया
जाय उसे चूलिका कइते है! | यहा चूढिकाके नो अयान्तर विभाग किये गये हैं जिनका
पत्चिय इस प्रकार है--
१ अ्रक्ृतिसमुत्कीतेन चूलिका
क्षेत्र, काठ और अन्तर प्ररूपणाओंमि जो जीयके क्षेत्र ८ काल्सम्बन्धी नाना परियर्तन
बताये गये हैं वे विशेष कमयन््थके द्वारा ही उत्पन्न हो सफते हैं। वे कर्मबन्ध कौनसे हैं,
उन्हींका व्यवस्थित जीर पूर्ण निर्देश इस चूल्किमें क्रिया गया है | यहा ज्ञानायरण, दर्जनातरण,
३ सम्सतेमु अं जियोगदारेह चूलियां झ्मिद्रमांगदा ? पुच्युतताणमद्ृण्णमणिओग्दाराण विस्मपएस
विवरणद्वमागढ्ा | पु ६, पू २ चृसिया णाप्र कि! एकासतअणिओआगदरित सूइद्त्मस्प विसेसियूण परूवणा चूलिया |
घुशबध, अततिम महादढक उन्तातुनदुदत्तितन चूल्कि | गो व ३९८ शौक
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