महाभारत अनुशासनपर्व | Mahabharat Anushasanaparv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
110 MB
कुल पष्ठ :
1086
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय २ |
१३ अनशासनपते ।
(कर न् जन अजमेर +०० लौजजनन-ककीकक+.+
२१
5 शर्ूसूरश हट तरस श्सूरूरहधशूश धध्ध्ध्श्ध्ध्य्ट्ध्श्श्ध्ध्ध्ध्टध्ध्ध्दड 332935%3%353359%933+%39335<333:3:53+3+353:35333353(02
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सुदशानाय विदुषे भायाथ देवरूपिणीम्
॥ २३९ ॥
स गृहस्थाश्रमरतस्तथा सह सुदशनः ।
कुरुक्ष त्र व सद्राजन्नोघवत्या समन्वितः
1 ४० ॥
गहस्थश्वावजेष्यामि रत्युमित्येव स प्रभो |
प्रतिनज्ञामकरोद्धी मान दीप्ततेजा विशाम्पते
॥ ४१॥
लतामथोघवती राजन स पावकसुतो5ब्रवीत ।
अतिथेः प्रतिकूल ते न कतेव्य कथंचन
॥ ४२ |
येन येन च तुष्येत नित्यमंव त्वयाउतिथिः |
सर है शह शा
अप्यात्मन। प्रदानन न ते काया वेिचारणा ॥| ४३ ॥
एतद्गत मस सदा हृदि संपरिवतते |
ग्हस्थानां च सुश्रोणि नातिथेविद्यते परम
| ४४ ॥
प्रमाण यादि वासमोरू वचस्ते मम छझोभमने।
हद वचनमव्यग्रा हृदि त्व धारये। सदा
॥॥ ४० ॥
निष्क्रान्ते माये कल्याणि तथा सनिहितेष्नधे ।
नाताथरत$वम्तन्तव्य; प्रश्ताण यद्यह तव
न 2००+»-+न २क०-न-क-ा
नृग राजाके पितामद ओपघदवान
नामके राजा थे, उनके आघवती नाम
की कन्या और ओघरथ नामका पूत्र
था, ओघवानने स्वयं विद्वान सुदशनके
साथ अपनी देवरूपिणी कन्याका
विवाद किया । हे महाराज | सुदक्धनने
उस ओघदवर्ताके साथ गृहस्थाश्रमम रत
होके कुरुक्षेत्रम निवास किया था। दे
नरनाथ 1 महातेजखी, धीमान सुदशन
गृहस्थ होके सत्युको जय करूंगा एसी
ही प्रतिज्ञा करके पलीस बोले, कि तुम
मी अतिथियोंके विषयर्म किसी प्रकारसे
प्रतिकूल आचरण न करना; श्रतिदिन
|
1
॥ ४५ ॥
नि लीक न ीनन4ब++- तन 3 िननननी ऑजिक.>->०५-०-+बकन-नन+ -+माललननी- जलन टरनअ2अ2गरग2अ#२गरनभ2२त2गगजफरफिनगन-ग-म»भ+3+-+++-+ “न जनी+-झ-न पनानमीनाननाननन-+न >नननन--भ3>े->क लक
अतिथि जिप् प्रकार तुम्हारे द्वारा प्रसन्न
हो, तुम आत्मप्रदान करके भी उस
कार्यकी सिद्ध करना, इस विषयमें कुछ
भी विचार न करना | ( ३८-४६ )
है सुश्राणि ! मरे हृदयमें सदा यह
व्रत विद्यपान है, कि प्रहस्थ मनुष्योंके
निमित्त अतिथिसे बढके और कुछ भी
नहीं है | हे शोमने [ दे वाभोरु ! यदि
तुम मेरे वचनकी मानो, तो सन्देह*
रदित द्ोके सदा हस ही वचनकी हृदयमें
धारण करो। दे कल्याणे।| है पापरद्िते!
में चाहे घरसे बाहर रहूं, अथवा घरमें
ही रहूं, मरा वचन यदि तुम्हँ प्रमाण
शासक लए /रपर रस कप धन नस तय कि कर शक किलर की कम कील,
स्ध्ध्ध्थ्ध्ध्ध्श्श्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्€्ध्ध्ध्ध्ध्ध्धद€€€€६3993939339%9353393379953392593399395999+>3+373530
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