षट्खंडागम बन्ध - स्वामित्व - विचय | Shat Khandagam Bandh Swamitv Vichay

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Shat Khandagam Bandh Swamitv Vichay by हीरालाल जैन - Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शुद्धि पत्र ७ आम न विषय पृष्ठ ऋमन विषय सुछठ २०६ सातावेदनीयके ब्रन्धस्वामित्य २०८ आहारक जीवोस ओघके की चल्लुद्शनी जीवोके समान समान बन्धस्वामित़की प्ररूषणा ३८७ प्ररूपणा डेष० _२०७ असज्ञी जीवॉमे अभव्योके २०९ अनाह्वारक जीवोर्म क्रामेण समान यन्धस्वामित्वकी काययोगियोंके समान यन्‍्ध अरूपणा क्र स्वामित्वकी प्ररूपणा ३९१ / शुद्धि. “पत्र 4 न पृष्ठ प सशुद्ध शुद्ध < १८ किस गुणस्थान 'तक किस गुणस्थानसे किस गुणस्थान तक ६ ४ उदयसो उबएसी १३४ ७ थोच्छिजादि चोचिउज्जदि शे५७प.. ६ बज्सति बज्झति #. ११ चंधमाणाणि। चघमाणाणि ». १२९ बधघति बघधति # २५-२६ दश प्रझृतियां तथा द्शनावरणकी दर अक्ृतियों तथा दशीनावरणकी चार ही स्वोदयसे है चधती हैं, प्रकृतियोंकी बांधनेतले सब भुणस्थान स्वोदयसे ही बांध॑ते हैं, १६६ ६८ पुच्छण पडिवण्ण। पुच्छाण पड़िवण्ण बुच्चदे । » देरे ये तीन अर्ष प्राप्त होते हैं। इन तीन प्रश्नोंका उत्तर कहते हैं । १८ ८ इथि द्त्धि ह. रहै शशुम, प्रांच अशुभ पांच #. २9. विद्वायोगति स्थावर बविद्वायोगति तथा स्पावर भे४ ८ दुबावीसा डुबावीसा रण २० हें हे ४२ ७ उदयवोच्छेदो उदयवोच्छेदादो शेण ५ कदि गदिया कद्विंगदिया डेट दे जुचे | बुच्चदे




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