नेपाल अतीत और वर्तमान | Nepal Ateet Aur Vartaman

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अधान मत्री दस; मह इतना शक्तिवान और प्रभावगाली था कि राजा कवल नाममाव को था + शारी चस्ति जयस्थिति प्रधान सत्री के हाथ में फैड्रित थो। जयस्थिति और उसके पैन ने सपाल से प्राह्मणों का बचस्य स्थापित कर दिया | उसके परिणामस्वरूप नपाल को प्रजा का हंष्टिकोष 1 पालातर वेश के राजा मे अपने पृत्री का टाजुरमहल बच के राजकुमार से कर दिया भीर वह नवारू का शासक बता । पह तीसरा छाझुर पाणवश्ञ या जो नपाल के राजछिहासन पर आया । तीत्तरे ठाकुर राजवध मे एक महान शासक यपमहल (१४२९ ६ ०) हुमा उसने मुस्लिम शासन के नियल होने पर मोरग और तिरहत फो मी अपने र्य प्ले मिला लि गाचान इतिहासकारों मं तो जिश्चा है कि उसने विहार पक्षमहत जब अपनो है वुधग्पा यर पथ था तो उसने अपने राग्य को विभाजित कर पार घार राज्यों मे घांट दिया ) काठमांडू _भटयांव पाटन मीछ टूर ॥ चार राज्यों की थॉं। चारो रानघापियां एक इतर ५ समोष टैछ हो मोर की हरी पर स्थित थीं। उनके राज्य उतक पोछ दर तक उनर प्ृध तथा पदिचम में फुल हुए थे उत्तका परिणाम यह हुआ कि उनके पुहर क्षेत्र उनके राप्य से निकल गए भर भाई आपसे लगरे। अस्त रबर दो फाय कड गए--मट्यांव और काठमाहु। १७६९ तक यही स्थित्ति रही । यक्षमत्ल की भत्यु के उपरात उसके तोसरे वुष्र रतमल को फ्लि परन्तु उत्तरी अपने राण्य पर मपिक्तर करने के छिए नव हु कोट के ठाकुरों से १४०१ मे गेट के 5 टूर को पराह्त कर रतनमल्छ मे अर पी हियति को चुहद बार लिया । इसके 3 वह र तिवत से छड से ठा। _राणय निन्चित थी । रिन्तु वप्पा का परवतिपा पय बनज उसकी करो पर उसकी ९ हो गई) रक्षा और विजय ३ उपन्दय मे उराने ब्राह्मणों को यहुत दान टिया भौर ह्द्रि 7 और अधिक मायता क्या । न पाल के इतिहास इसका स्थायी प्रभाव ए्नमल्स जा पक उत्तरायियारी सललिरा' अत्यन्त अत्याचारों घा। गे धोड़ों कय बहुत भोक या । बह अपने घोड़ों के सता भे चरने ऐे लिए छोड दता था । इससे क्सान। करे परे फ्त> भच्ठ हो घो । इसके नस ज्म्तो पर बहू मगवाता । इस अत्याचार ते प्रजा विश्ञेश्न जे और ज्सक्नो काठमांह से कया दया । ते उधर नड्ाक्त को घारो मे १७६ षतफरो मत्त्वपृष पदताएं और हर । पुर ने प्रि कान्तीपुर 4 टली नरहिह + काझ का बहुत बच्च वातमाह बतयाया जि श्ानोवुर का “व्मांड प्रश्तित हे गया। पाए $ प्राचीन ब- गो यम याऐ छलो पा अर है




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