आत्मज्ञान - प्रवेशिका | Aatmagyan - Praveshika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निवेदन ।
न-लनन-
यह छाटीसी पुध्त ' आत्महान ग्रवेशिद्य. पाठकोड़े भट ढष्व
हमें प्रसप्तता होती है । इसझ दिश्य नामदीस प्रच्ट दे | पुम्तइमे २७
बाठ दै । प्रत्येष्ध पाठमे छुदा जुदा विषय दें! विप्यद्या प्रतिपाइन यंधपि
शैनाहिसे हिया गण है तयाप्रि धममानेझा ढग इतता स॒दर है हि इरढ
धमदा मलुष्य इससे लाभ ठठा सहता है। ' धात्मपदा. भौर *कात्म
विद्यम ! मामके पाठ ते! प्रत्येक मनुष्यओोे श्रति दिन एफ बार भरा
पढ़ जाने ादिए! इनसे मठुलजक हृद्यंते आत्मषछ्का राचार भौर था
शद्धिक भाव जागत होते है 1
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अमरचदजीक पुत्र भीयुत पूनमचरदन, बसा मुरी ऊ स० १९८९ के रि
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वियोगका आपात हृदयमे कितना जबर्दस्त छगता है इस बातदों
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मगर ेँच भात्मा ऐसे समय भी आत्म-विश्यृत नहीं होते ऐस पमप्रल
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आाध्यात्मिच साहित्यक्ा प्रचार झपना, काना एक ऊँच दर्शक पुण्य-काय
हू । दानवीर संठजी तथा उनके भुपत्र दँवर अमरघदजीने यह पुल
भात्मार्यियोंक्ी मेटमे देनेड़े लिए जो सहायता दी है उसडे दिए आशा है
हमोरे साथ थाढ भी छेठीडे इन होंगे । पुष्ण तो ठाई हावदीया 1
खेद दे कि, दम स्वर्गीय वापुद्ध फोटो, प्राप्त न इनेएे, पुस््तडमे
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