अपने सामने | Apane Samane
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
664 KB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक अजीब दिन
आज सारे दिन बाहर घूमता रहा
झोर कोई दुघंटना नहीं हुई ।
आज सारे दिन लोगों से मिलता रहा
झौर कहीं भ्रपमानित नहीं हुआ ।
झाज सारे दिन सच बोलता रहा
भोौर किसी ने बुरा न माना 1
प्राज सबका यक्नीन किया
और कहीं घोखा नहीं खाया ।
और सबसे बड़ा चमत्कार तो यह्
कि घर लौटकर मैंने किसी और को नहों
भ्रपने ही को लोटा हुम्रा पाया 1
एक भ्रज्ञीव दिन | 25
User Reviews
Mr. Ajit Meena
at 2021-05-10 20:02:46Mr. Ajit Meena
at 2021-05-10 20:01:32Harshit Thakur
at 2021-05-10 07:42:17"Pdf not available"
Mr. Ajit Meena
at 2021-05-09 05:08:53