श्री नव देवता मंडल विधान पूजन | Shri Nav Devta Mandal Vidhan Pujan

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Shri Nav Devta Mandal Vidhan Pujan by श्री सूरजमल जैन - Shri Surajmal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३) ये श्रुण्वन्ति पर्ठीत तैश्च सुजनपर्माथकामान्विता लक्ष्मीराश्षयते व्यपायरहिता निर्वाणलक्ष्मीरपि ॥81॥॥ +डति मगलाप्टक्मू-- श्रीमज्जिनेद्रमभिवद्यजगत्तयेश स्याह्नादनायक्मनतचतुष्टयाहम्‌ ॥। श्रीमुलसधसुहणा सुदृतेकहेतु- जनेन्द्रयनविधिगेप मयाभ्यधायि ।। (इस एलोक्व। पढ़वर भगवान्‌ के चरण में पुष्पाणलि क्षेपणणा वरना) श्रीमन्मदरसुन्दरें शुचिजलेथो ते सदर्भाक्षत 1 पीढे मुक्तिर॒र निधाय रचित त्वत्पादपद्मत्रज ॥ इद्बोह>ह निजभूषणाथवमिद यज्ञोपवीत दधे । मुद्राकव राशेपराण्यपि तथा जैनाभिपेकोत्सवे 1। (इस एप्तोएफो पढ़पर भ्राभूषण थे यशोपवीत धारण करता चाहिये) घपिलव सगान वा लोक सौग-म्सगतमघुशतभः इनेन, संवण्पयमानमिव गध्रमनिद्यमादौ । झरोपयामि विवुधेश्यरत्व रपन्ध- पादारयितमभिव्रद्य जियोत्तमानाम ॥। प्रसिपेष' गे लिप्रे भूमि प्रशावन प्रो या शवाष-- ये सवि केचिदिक दिव्ययुलप्रमूता सांगा प्रभावलंदपंयुता विद्योधा | ;




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