श्री नव देवता मंडल विधान पूजन | Shri Nav Devta Mandal Vidhan Pujan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
213
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री सूरजमल जैन - Shri Surajmal Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
ये श्रुण्वन्ति पर्ठीत तैश्च सुजनपर्माथकामान्विता
लक्ष्मीराश्षयते व्यपायरहिता निर्वाणलक्ष्मीरपि ॥81॥॥
+डति मगलाप्टक्मू--
श्रीमज्जिनेद्रमभिवद्यजगत्तयेश
स्याह्नादनायक्मनतचतुष्टयाहम् ॥।
श्रीमुलसधसुहणा सुदृतेकहेतु-
जनेन्द्रयनविधिगेप मयाभ्यधायि ।।
(इस एलोक्व। पढ़वर भगवान् के चरण में पुष्पाणलि क्षेपणणा वरना)
श्रीमन्मदरसुन्दरें शुचिजलेथो ते सदर्भाक्षत 1
पीढे मुक्तिर॒र निधाय रचित त्वत्पादपद्मत्रज ॥
इद्बोह>ह निजभूषणाथवमिद यज्ञोपवीत दधे ।
मुद्राकव राशेपराण्यपि तथा जैनाभिपेकोत्सवे 1।
(इस एप्तोएफो पढ़पर भ्राभूषण थे यशोपवीत धारण करता चाहिये)
घपिलव सगान वा लोक
सौग-म्सगतमघुशतभः इनेन,
संवण्पयमानमिव गध्रमनिद्यमादौ ।
झरोपयामि विवुधेश्यरत्व रपन्ध-
पादारयितमभिव्रद्य जियोत्तमानाम ॥।
प्रसिपेष' गे लिप्रे भूमि प्रशावन प्रो या शवाष--
ये सवि केचिदिक दिव्ययुलप्रमूता
सांगा प्रभावलंदपंयुता विद्योधा |
;
User Reviews
No Reviews | Add Yours...