सत्याग्रहगीता | Satyagrahageeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ श्री! ॥
सत्याग्रहगीता
प्रथमोष्ध्यायः
गम्मीरों विषय: छायं श्रेष्ठ: स॒त्याग्रदात्मकः ।
क्ृत्स्ने जगति विख्यात) के में लघुतमा मतिः ॥ १॥
(१) समस्त संसारम दिख्याद सत्याग्रहामक यह अछ और गम्भीर
विषय कहाँ! और मेरी बहुत तुच्छ चुद्धि कह !
झब्द्गीरबहीनाई युद्धस्पैतस्प गोसम्
व्याख्यातुम्समर्थास्मि गुणर्दिज्यर्विभूषितम् ॥ २॥।
(२) घद्दमंदारके गुस्वसे हीन में दिव्य गु्ेसि विभूषित इस
थुदके गारवका चर्णन करनेमे अशक्त हूं 1
तवापि देशमक्त्याईं जातास्मि विवशीद्धता ।
अव एवास्मि तद्भाठम्रुथ्ता मन्दवीरपि ॥ ३॥
+ _ (३)ठों भी अपने देशके प्रेमसे विवश होकर मन्दद॒द्धिवाडी
दोकर भी टसे गनेझे उद्त हो गई हूँ।
दुद्विता श्टरस्थाई पण्डितस्थ क्षमामिरा ।
अध्षमापि कवेमार्गे ओवव्या वस्तुगीखात् ॥ ४ !॥
(४) मेरा नाम क्षमा है-शंझर पण्डितद्ी में छट्की हूं।
करके मार्मम अक्षमा अयांद असमर्थ में हैं। ठोमी विपयके गौरवके
कारण मेरा कइना सुनना चाहिए ।
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