अथर्ववेद सुबोध भाष्य भाग प्रथम खंड १-३ | Atharvaved Subodh Bhashya Bhag 1 Kand 1 To3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तौम काण्डोका परिचय |
५ ततीय काण्ड
पंचम प्रपाठक
प्रथम भनुवाक
सूक्त सेब्या. शोक मंत्र से
र् शयुसेना-संमोहन ६
श् सम ्
ब् राज़ाको राज्यपर पुनः स्थापना ६
छ दाजाका चुनाव ७
थ राज और राजाके बनानेवाले. ५८
द्वितोष भनुवाक
द् बीरपुरुष ड
७ बानुवंशिक रोगोंका दूर करता. ७
€ढ राष्ट्रीय एकता द
हि कलश भतिवंधक डपाय द्व
३० कालका यज्ञ १३
तृतीय भनुवाक
41 दवनसे दी घायुप्य ढ़
१२ गृह-निर्माण 4
१३ जल ७
हि गोशाला
है बाणिज्यसे घनप्राप्त ढ़
चतुर्ध भ्षनुवाक
षष्ठ प्रपाठक
१६ भगवानकी प्रार्थना ७
१७ कूविसे सुख दू
46 चनस्पति दृ
१९ ज्ञान मर शौव॑ ड़
२० ठेज्नस्िताके प्लाथ भम्युदूप १०
पंचम क्षमुवाक
२१ कामापक्िशमन १०
श्र बच प्रात्ति दर
शा वीरपुत्रग्रापि इ्
२४ सम्द्विकी प्राद्चि छ
कु कामहझा बाण द
घष्ठ भनुवाक
६ डच्विकी दिशा द
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इसमें ६ मंत्रवालि $३ सूक्त हैं. क्रतः इस काण्डको
प्रकृति ६ संत्रवारे सूक्तोंकी है ऐपा कद सकते हैं। तीनों
कांडोंकी सेत्र सण्या यह है---
$ काण्ड सूछ ३७ मंत्र संड्या १५३
रे क्र » हैई ) ३०७
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७५९० कुक मेंश्र संख्या
इन सूकतोंके ऋ्मको देखनेसे ऐसा प्रतीत दोता है ढि,
इन सूक्तोंकी स्थापना विषयानुसार नहीं है। इसकी रचत।
विषयानुसतार को जाय, तो पाठकोंको वेदकाविषय समझ-
नेमें सुगमता होगी ! इन तीनों काण्दोंके खूक्त विषया-
चुसार इकट्ठे दिये ठो इस तरद्द द्वोते हैं--
१ इंश्वर-- १११३ इंश्वरक्ो नमन, २॥१ सध्याश्मविद्या,
३।३ पूजनीय हृंश्वर, २१६ विश्वम्मरक्ी भक्ति, ३५१६ भण-
बानूको प्रार्थना, २१११ भारमाके गुण।
9 मुक्ति-- १३४ मुकिका मागे।
३ शासक-- 43)२० महात्र शासक, १११ प्रज्ञा
पाछड, ३।३ राभाकी राज्यपर स्थापना, ३।४ राजा का घुनाव,
३1५ राजा और राजाके बनानेवाले, पर३ी) भाशाराक्ष कु,
१२६ राष्रसंवधेन, ३1२९ संरक्षक कर ।
४8 युद्ध-- ६१-३ इडुसेना संमोहन !
५ विज़य-- १1२ विश्व, २२७० विभप ब्रात्ति, २५
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