पद्माचन्द्रकोश | Padma Chandra Kosha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
528
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सहतशणन,
1 ।
[ बजैश्क्म ,
अजातव्यअन, (भ्रिन्) न जात॑ स्यजन ( पुरपचिद ) यम्य । | अज़िर, ( न ) अजू+दिरत् । उदयन नमठे प्रशिद्ध ।
जिसषी दादी नहीं.
अत बेश.
अजावरातबु, (१०) जातम्य जन्तुमाप्रस्य न धबुड असमर्थ | अनिरझोचिस्, ( ग्रिन) अगिर शोचि' ( देलः ) सस्थ ।
समात'। राजा युधिष्ठिर ! जिसक् फोई शयु उत्पन्न नहीं
हुला। जातिश्ूत्य । जन्मगत्य ( प्रिब ).
शथमकद्ार तेज ( रोशनी ) दाला.
अजिराधिराज्, ( पु) ४८त बेगवाव राजा 1 यमणंज,
झआअजाति, ( छो« ) जन« किन , न तन उत्पत्र न होना अज्ञिरीय, ६ स्रि० ) ( क्षजिर छ देय )। शॉसनके सापश
अजादनी, (श्रौ०) अजरेवायते, अद+कर्मणि स्युद् । एरने-
सेगी हु स देनेदारा उियटीनामी वक्ष,
अजानि, (प०) नास्ि जाया यस््य थ० । जायाया निशदेशः ।
सीरदित-
चातईके श्ाथ मिला हुआ.
अज़िलय, (त्रि० ) दाम्मन् न* त«। एरठ हौएा, जो
बुटिज न हो
अजिह्यग, ( पु ) अनि्श रारतं गघ्छति गमू+।ह । झाण।
अज्ञानेय, ( प० ) झजेपि विज्ञेषेषि आनेयो यवारथानं | पं जमेवाठ ( त्रि० )
प्राणणीय शारोहो येन, ्जु+अप्+भा+नी+वर्मंणि यत्
ततः ब 1 रहुतसे शर्ततोंडी चोटें राकरमी जो ने दरता
हुआ अपने खागीकों पहुंचनेय्रोग्प स्थानपर पहुंचाने
ऐसा घोष । उत्तम घोष,
अजापफ्रम्, ( म० ) अजादुग्पादिभ्य' जातम्ू । बकरीके
अजिद्ध, ( ३० ) जि+पन+दर॒व । जिह्ठा एसना शा नारी
यम्य घ*» । मेंडक । जीमसे बिना ( जि* )
अजीकपषम्, ( न ) भज्या धरपपेश * अप्माणं बी
प्रीणाति, बा-क । हीर फेववर हद्म'दो बचत है । थी
बरका धमुप,
दूध आदिसे उप्र । एक प्रकरबा पी जो औवधिसे बना- | अज़ीगते, ( पु« ) भ्रम गमनाय गते! अम्ध॥ जिएडे
भा छाता और रांही अथवा दमा आदिम प्रयोग शिया
जाता है.
अजापाछफ, ( प्रि० ) भवाग भापाजयी । आप! णिच+
श्युखू। ( उप ए« )। बकरियोंशें पालने वा उनपर
जीविश फरनेद्दारा,
अज्ञामि, ( ्रि०्) न« 6०, एते जो एंपन्पी नहीं।
जो ही नहीं,
अजापिकम्, ( न« ) ( अजाय अवयश् तेपां रामाहारः
इन्द्र )। बढ़रियें योर भेरें.
अजाध्यम्, ( न० ) भजाथ अश्राय | ऐं. ४21 परे
और पोड़े,
अजि, ( पु ) अज+ ईन् | तेज घग्नेदारा ( जिन )
अजित, (ग्रि०्) न जितः (नब् शत )। न जोता
गया हु,
सजिन, ( ग ) धशी क्षिपी रजभारि, भ्रश+टगति 4
खमश,
अजिनपत्रा-परिक्न, ( झी+) पडिने अर्मेद शक्ति
पर्च पक्षों गस्याः ब० । पमदिश व! दफीरिव्र ममने
भ्रतिद्ध पक्षिभेद,
अजिनफला, ( री ) भरिन ( बर्ेविशतहाप् भा )
इव फ् शमस्र: ॥ टेपरी अममे प्रशद पृषरनीण
आपररइर कृप्त,
अजिनयोनि, ( शो ) शरिरस बर्मद, दोरि, बात्दे ६
ह+ | दृरिषनाज । एच सिसमए ट्रिय,
लानेके ऐिये छिद ( शुगस ) है। सं ( पाप )। सच
बंशमें एक आश्यणणर नाम। जो छन.रोपरा पिया रै,
अजीतिः, ( कली ) न जीयते। मे दौतना। शम्परा।
मं क्षर होना.
अजीर्ण, (१०५) शुस्भावे क्ृ, भ« ह«। देटरी ऋड
धीमा दोजानेसे साये रपये अ्रप्र भ्रट्िरप्र भ एहटा। एड
प्रभाररा रोग। बर्जरि हा भ० ह« 4 ओो पुरारा ग हो
( प्रि+ ) दइहजगी
अजीप, (ग्रि०) शैष+मारे एन ब०७। अदरविन ।
मराषट्रभा | मुरद!,
अजीयन, ( द्ि* ) म* ब०।ह रौवन गस | ैरिषः
रहित । डिरार्री बोर होगी नतों। सम (२६)॥ बे
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अजीपनि, (क्रौ८) न शैम्ए५, ग+शंतर आपररो+अ नि ।
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अछूर्य, ( त्रिन ) बज इरच ४८य1 शॉरिराशी। रा |
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दारो बम्पर दपना बइ० दा दइस्पायाकपटोए ॥ इटशर पे
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