अथ सत्यार्थ प्रकाश | Ath Satyarth Prakash

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ath Satyarth Prakash by जगदेव सिंह - Jagadev Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगदेव सिंह - Jagadev Singh

Add Infomation AboutJagadev Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रीयुत प॑० जगदेवसिंह सिद्धान्ती शास्त्री को सम्मति _ आता 6 -०-- मिन स्वाध्यायशील सज्नों ने ऋषि दयानन्द द्वारा रचित अन्थों का सनोयोगपूर्वक अध्ययन किया है, ये जानते हैँ कि वह वेदसन्त्रार्थद्रप्टा, परमयोगी और महूवेज्ञानिक आप्त पुरुष थे। ईश्वर का उनको साक्षात्कार था । उन्होंने अपने ग्न्थो' में प्रत्येक पद का सार्थक प्रयोग किया है। यदि उस पद के स्थान पर उसका पर्यायवाची पद रख दिया जावे तो अर्थ में परिव्र्तेन हो - सकता है। अतः उनके ग्रत्थी' के प्रकाशन में अत्यन्त सावधानता वतेनी चाहिये कि एक पद भी जाने वा श्रनजाने परिवत्तित्त न किया जावे । । क खेद से कहना पड़ता हैं कि ऋषि के वेद्साष्य, ऋग्वेदादिसाष्यभूमिका, सत्याथग्रकाश और | _संस्कारविधि आदि ग्रन्थो' में पदो' को ही नहीं अपितु वाक्यो' और स्रावो' को भी बदला जा रहा हैं । किसी सी लेखक की भूल रचना में हेरफेर करना अत्यन्त अनुचित कृत्य हे । इस से कुचेष्टा ऋषिमक्त विद्वान दुःखी हो रहे थे। सीमाग्य से आप साहित्य अचार ट्र्ट इस हेराफेरी के झुकृत्य को सहन न कर सका | इन्होंने ऋषि के मृत्न बचनो' की रक्षा का वीड़ा उठाया है। अतः द्वितीय संस्करण का फोटो लेकर सत्याथेप्रकाश को आपने प्रकाशित कर दिया है। यह प्रस्तुत संस्करण भी द्वितीय संस्करण के अनुसार ही प्रकाशित किया है! इस मुकाये से ऋषि के मूल सावो' की रक्षा हो गई है। । इस प्रस्तुत रास्करण का सम्पादन श्री आचाये सुद्शनदेवजी एम० ए० ने बड़ी योग्यतापूर्वक क्रिया हैं। प्रकाशक ओर सम्पादक दोनो' ही धन्यवाद और साधुवाद के पात्र हैं । ५ ; विनीत :-- आह चर पञ्नमी जगदेवसिह सिद्धान्ती शास्त्री शुक्रवार, सं २०२६ वि० सम्पादक- आयेमर्यादा' देहली 3 अनिनननीण ५ ज-ना> +ललनननन्‍ल+-५ २8... नल स>++-त......8ैहत ४ ५. हा डर ् आन 9> 939 9न्‍>+++८+-++5< «3 & विन




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now