रसरत्नाकर | Rasaratnakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयाषनुक्रमाणिका । (१७) अर ीमनादाकाशााधधनाकनाादाधााय भा का आाददाा ता का सूप वध काका आधा ५ विषय. पृष्ठांक. विषय. पृष्ठांक. साम पित्तका वर्णन ... .«. ९९| दोप ... ,,८ ,. १०७ 80420 वर्णन . ५5 | ज्वर रोगवाले मनुष्यको तृषा दुर लक्षण ९्‌ नवीन ज्वरमें त्यागनेके योग्य कं हे करनेके लिये कैसा जल पौने फोदेना चाहिये ... १०४ आगन्तुक रोग १०० | आमज्वरमें कैसा जल देना चाहिये १०५ चिकित्साके समयका विचार १०० ७ आफ अंयास ु ४ ओषधिके खानेका पात्र « २१०५७ उबर रोगीको सेवन करने योग्य ओऔपधि पीकर फिर किसप्रकार पका, 88 पात्र डालदेना चाहिये .«. २१०५ ४ को ओऔपधि खाकर फिर क्या खाना संशमन औपधि ,. २०० जंग :लंहप ह ० कल चाहिय. . रा कक १०५ प्रथ्वीके गुण... ज्वर नाशक मन १०५ जलक गुण १०२ घूपका मभत्र २१०५ बायुके गुण .. १०१ | चातुर्थिक ज्वरमें मेत्र पढकर घूप और आकाशके गुण 2५१०१. स देना चाहिये उनका वणन १०६ शरीरमें पच्चभूतोंके रहनेके भिन्न जिन, जवक की अु वतद *** १०६ भिन्नस्थान ... १०१ | सेततकादि पाँच प्रकारके ज्वरॉका गिलोय और सोंठका काथ १०२. नि *** ० १०६ ज्वरको सब रोगोंमें प्रधानता १०२ | विपम ज्वर १०६ जिन जिन ज्वरोंमें रूंघन नहीं भूत ज्वरमें नास है १०७ कराना चाहिये उनका वर्णन १०२ | भूत ज्वरसें केठ ओर कानोंखें क्षय शब्दका अर्थ १०२ औपधि वन्धन कक उष्ण साम पित्त जिसके द्वारा एकाहिक और रात्रिज्वरकी ओपधि १०७ पकते हैं उनका वर्णन १०२ | सेब ज्वरनाशक ओऔपधि «० २१०७ जिस कारणसे क्षुवाकोी सहनकी ओपधिक॑ बाधनेसे शीतज्वर और सामथ्य नहीं होती उसका वर्णन. १०२०| अ्याहेक ज्वरका नाश ... १०८ रोगक्े उत्पन्न होनका कारण १०२ व्यादहिक ज्वरमें बन्चन, अंजन आर ज्वरमें प्रथम रुंचन कर्त्तव्य १०२| . तिलक * १०८ लुंधनका विद्वेप वर्णन १०३ | चातुथिक ज्वरस बन्धन, धूप ऑर रोगोंका प्रधान आश्रय बर्णन १०३४।|, अजन ... ८-* .« १०८ वाग्भटके मतसे घमन १०७ | “त्रेद्वारा उलद्छकादिकांकी सिद्धि ... १०९ किस अवस्थामें बमन कराना औषधि छानकी विधि... ... १०९ योग्य है ,,. २०४ | सेत्रसे औपधिको डखाडना, छेदन अवस्थामें वमन करानेके और बंधन ५. ११० +कमहल - क् हब 71८7एप्र टडटएाशव- _फएपएपह7ह-7




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