भारतीय शिक्षा और उसकी समस्यायें | Bharatiy Shiksha Aur Usaki Samasyayen

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Bharatiy Shiksha Aur Usaki Samasyayen  by बी॰ पी॰ जौहरी - B. P. Jauhari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बौद्ध विक्षा १३ वालपोयो पढ़नी पड़तों थी जिसमें बरणमाल्ा के ४६ अक्ष र थे । इसको समाप्त करने हे बाद छात्रों को पाँच विधाओं--घब्ल विद्या शिपस्थान विधा, चिकित्सा विद्या, देदु विद्या और अध्यात्म विद्या का अध्ययन सरना पड़ता था । ब्रापपित् दिप्ता के उपशेक्त वर्णन से यह स्पष्ट हो जाता है विवबोद मठों में घामिर, सासारिश दाषनिक और व्यावहारिक ज्ञाव प्रदान क्या जाता था । हस शिक्षा को न बेवल यौद्ध भित्ु वरन्‌ गृहस्थ घौद्ध धर्मावलग्दी भी प्राप्त करने मे यधिफारी थे । यहाँ इस वात वा उल्लेस करसा आवष्यक जान पढ़ता है कि शिक्षा बार माध्यम पाली भाषा थी, जो जन-साधारण के हारा बोली जाती थी, त कि सस्कृत जसा कि शहारों दारा मचालित दिक्षा सरवाओं में था । २ उच्च चिक्षा (स्राक्षद् 79708001) पौच विद्याओं का अध्ययन समाप्त मरते प्राथमिक और सामाय शिक्षा मय पाझृष्त्मम पूर्ण हा जाता था। उसके बाद उच्च पिक्षा का पाठ्य-क्षम प्रारम्भ होता था) इस गिश्षा के कंद्ध भी बौद्ध मठ ये। उच्च शिक्षा में अध्ययन ने विविध विपया कौर विधेषज्ञता ($फ८ाअस्21095) था प्रदाय था। छात्र स्याएरण, धम “योतिपष दर्शत औपधि विज्ञान क्लालि मा अध्ययन करने' इसमें से विसी मे विगेष योग्यता प्राप्त कर सबते थे | हुएनसांय के अनुसार उच्च विक्षा में धफ्ियात्मक और व्रियात्मम (18८ण८ांव्य ब्यव गिग्णाव्ण) धिक्षा के दोनों १दसुआ पर बस दिया जाता य्‌। डा० ए० एस० क्स्टेगर (/ 5 810४9) ने बौद मठो में दी थाने थाली उच्च शिक्षा बी प्रणसा में सिसा है * मठा मे भ्पनो उच्च शिक्षा भी योग्यता से जहाँ अध्ययन १रने गे लिए कोरिया चीन तिम्बत और जावा ऐसे सुदूर देशा से छात्र मारदित हांते ये भारत को अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति को ऊँचा उठा लिया 17 ( गाद क्राणाउश्रगाहड उा5९६ ९ गराशद्याव0चण इध्याएड त॑ प्रवा4 ए७ पढ़ लीटांक्षा८/ छा पाढः प्राष्ठोपए ६१०८७०7, फ्रोपटणो ॥(12९९6ै $100८01 1001. त$0व#7 ६0प्रशग05 186 $ श्र, एमा।3, व०ट! बगवे उद्ा9 ' ) उध्द लिखा ये यैद्धा प मालन” बगामोी विश्रमशरील, जग”ल, ओदन्तपुरी म्रिपिप्ता और नादिया विशेष रूप से उत्ससनीय हैं। इन सब मे सवप्रयम रपान भालस्ट विश्वविद्याधय को प्राप्त था । यह आयुनिर प्राम बरपा में राजगीर (विहार म) से सगमग आठ मीस दूर था। सन्‌ ४२० ई० से सेतर सपमग ३५० यर्षे तुझे यहू अपना प्रस्चिदतशा के चिसर पर था 1 गएनध्याग के मारत मायमन के समय इसमे सग़मग ५,००० प्रितु पे जिनमे छे ३ ०००जे




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