कि जीवन ठहर न जाए | Ki Jivan Tahar Na Jaaye

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नम्नछद्‌मी गर्व-1 मुम्हारे नारकीय जीवन के कारणो का सजावटी लेखा-जोखा रखकर ही पोषित होगी उनकी तर्केपणा-। ज़ो स्वयं तुमसे अपने बौद्धिक यंत्रों का ईन्चन तलाशते हैं उनसे अपनत्व की कामना छोड़ और- लौट जा! जिस दिन- अपने से ही मिले रास्ता निकल भागना- | वरना- रास्तों का विश्लेषण करती अभियंताई बुद्धि से तुम नीले नक्शों के अलावा और पा ही क्या सकोगे २ 25/कि जीवन ढहर न जाए




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