कि जीवन ठहर न जाए | Ki Jivan Tahar Na Jaaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
513 KB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नम्नछद्मी गर्व-1
मुम्हारे
नारकीय जीवन के कारणो का
सजावटी लेखा-जोखा रखकर ही
पोषित होगी
उनकी तर्केपणा-।
ज़ो
स्वयं तुमसे
अपने बौद्धिक यंत्रों का
ईन्चन तलाशते हैं
उनसे अपनत्व की कामना छोड़
और- लौट जा!
जिस दिन-
अपने से ही मिले रास्ता
निकल भागना- |
वरना-
रास्तों का विश्लेषण करती
अभियंताई बुद्धि से
तुम
नीले नक्शों के अलावा
और पा ही क्या सकोगे २
25/कि जीवन ढहर न जाए
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