सूर्य बीज | Surya Beez

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Surya Beez by बशीर अहमद मयूख - Bashir Ahamad Mayukh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रोशनी के नाम ख़त रोज्ष साँ्त को, सूयंधीज वो, काठते रहे भोर की फ़सल, कोटि कंठ फी प्यास छीनकर बाँटते रहे आाचमन का जल इस कदर चढा ज्योत्ति का नशा, पोधियों में खो गई स्वर्ग की दिशा, और हम खड़े, दीप के तले रोशनी का रास्ता देखते रहे । कुंडली के गंध-चोर उस हिरन के नाम उस हिरन के नाम एक खत लिखो, रोशनी के नाम एक ख़त लिखो | पीढ़ियाँ ढली, काल ढो रहा वर्ण-वर्ग के कर्म-भाल को, शास्ता बने हुक्म लिख दिया नकं-स्वर्ग के द्वारपाल को । इस कदर उडी काफ़िलों से धूल, गुम गये गुबार से लक्ष्य के दुकूल, भौर हम खड़े, राह से परे चरंवेति-चरंवेति टेरते रहे । स्वप्न-दंश से जले उस गगन के नाम उस गगन के नाम एक खत्त लिखो । पनधदों में क्रैद पीढ़ियों की प्याप्त, भूख के कफ़न, आदमी की लाश, ओढ्ुकर कफ़न, अनपढ़ी किताब, रोशनी के नाम ख़त : 25




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