जीवनानन्द दास श्रेष्ठ कविताएं | Jivananand Das Shreshth Kavitaen

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Book Image : जीवनानन्द दास श्रेष्ठ कविताएं  - Jivananand Das  Shreshth Kavitaen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोघ उज़ाते अपर में जाता हूँ-माये के भीतर स्वत नहों, का3 एक बोध काम करता है स्व नटीं- शान्ति नहीं-प्रेम नहीं, हृदय में एक बाघ जन्य लेता है मैं उसे हटा नहीं पाता बह मेर हाप यो रखता अपने हाथ में सब्र कुछ तुच्छ पशु लगता है- समस्त चिन्ता प्रार्थवा का पूरा समय शून्य लगता है शून्य लगता है। कौ चल पाता है सहज आदमी की तरह ? कौन रुक पाया है इस उजाले अँपेे में सहज आदमी की तरह, उसके जैसी भाषा, बाव कौन कर पाता है कोई निश्चय कौन जान पाता है देह का स्वाद उसक जैसा चाहता हो कौन है जानना ब्राणों का आहाद | उसकी तरह कौन पायेगा सब जैसे बीज बोकर तत्काल फूल पाना चाहते हैं। श्रेष्ठ कविताएँ/25




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