वैदिक स्वर समीक्षा | Vaidik Swar Samiksha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकाशक का निवेदन भागीरयी के तट पर हरिद्वार में अखिल मारतीय शिक्षण ससस्‍्या ऋषिकुल विद्याप्रीठ अह्चर्याश्रम वी स्थापना आज से ४८ वर्ष पूर्व महामना श्रीमदनमोहन मालबीयजी की प्रेरणा से भरीदुर्गादत पन्‍्त और सरदार इन्द्राजशर्मा ने कीयी। ऋषिकुल में ब्रह्मचर्याश्रम, संस्कृत-महाविद्यालय, श्रायुवेंदिक-कालेज, आयुर्वैदिस फा्मेंसी, आवुरालय, वेद-क्र्मकाएड-विद्यालय आदि विभाग उत्तम रीति से कार्य कर रहे हैं। ऋषिकुल के साथ देश के सान्‍्य मेताओं तथा शिक्षा शास्व्रियों का प्रारम्म से विशेष सम्पर्क रहा है। यहाँ समस्त भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों के बालर सस्कृत, आयुर्वेद, ज्योतिष, येद कर्मफाएड, श्रग्ेजी हिन्दी, गणित आदि विपयों की शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस सस्था से सहस्नों योग्य स्नातक शिक्षा ग्राप्त करके उत्तम पर्दों पर प्शंसनीय कार्य कर रहे हैं | थह संस्था मारत सरकार ओर प्रान्तीय ररफाररों से मान्य एव सहायता प्राप्त है। गत वर्ष से पूज्य महामना मालब्रीयजी की पुणय-स्मृति में भारत सरकार की सहायता से ऋषिऊुल में मालयीय अनुसस्धान यिभाग की स्थापना हुई है। इसके सचालन के लिए निम्न-लिप़ित व्यक्तियों की एक समिति बनाई गई है, जिसके निरीक्षण में वेद, सस्कृति ग्रौर पुराण इन तीन थिपर्यों पर अनुसन्धान कार्य हो रद्द है। इन विपयों पर योग्य विद्वानों ने अ्रनु- सन्धानात्मऊ ग्रन्थों की स्वना की है। इन ग्न्यों का प्रशाशन किया जा रहा है। मालवीय-अतुसन्धान-समिति कुलपति--(प्रधान समापति) . ओसत्यनारायणरिंद केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार | « उपकुलपति--(अ्रध्यक्ष) भ्रीस्यामी आनन्द जी। उपाध्यक्ष--भीस्वामी बेदव्याय जी । ७ “+भीपिद्धगोपालयशास्ती जी । अप्रवान-मस्जी -भीआनन्दप्रकाश बाशिए् पए्डासरदार। झन्‍्पो ये निदेशक-भीचन्द्रशे सरशास्त्री साहित्यायुवेंदाचाः सदस्य--भश्राचाय प्रमाफर मिश्र एम ए.। गत) ड्० छह एट ण ० द्ध क्र




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