दृष्टान्त - समुच्चय | Drishtant - Samucchy

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Drishtant - Samucchy by शिवशर्मा उपदेशक - Shivasharma Upadeshak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शिवशर्मा उपदेशक - Shivasharma Upadeshak

Add Infomation AboutShivasharma Upadeshak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भासका | /५ छ््‌ प्रिय पाठकगण | इस संखार समुद्र देखो फेसे २ र्सन्त रूपी रत्नभरे हैं (जिनका म्ह्य कोई व्यक्ति देनहीं सकता खुवर्णः रूपी रल न्यना घिक मृल्यपर मिलसी जायें, परन्तु यह अ्रमूल्य रत्न बड़े अयत्नसे प्राप्त होतेह इस ही कारण हमने उन रत्तेर को बड़े २ घिद्दानों द्वारा संग्रह ऋर आपकी सेचारम बपस्थित | फिया है । इस दृष्ठान्त समु्यय नामी पुस्तक में १६४ में हृष्टान्त सम्मिलित: हैं| दृष्टान्त ( मिसाल ) एक ऐसा पदाथ है कि उपदेणा (सममका। चाला ) कठिनलसे कठिन विपय कोसी मिसाल द्वारा जिज्ञाछु: ( समभने वाले ) को वहुत जहद सम- भादेता है । इसमे व्यर्थ हंसी दिल्‍लगी या समय के र्रोने वाले रणान्त नहीं हैं। किन्तु प्रत्येक दृष्टान्त कोई इश्चर स्तुति, कोई घर्म विवेचन, कोई लोक, पर लोऋ, यज्ञ आदि विषयों को उत्तमता को पूर्णतया दिखातेद्दै'। यदि आप लोगोंने इस पुस्तक का! गोरव वाया तो में! द्धितीयभाग भी जल्दही सेवा में उपस्थित करू गा | रा विनीत , ह् (७ ५ वशरवंशमा उपदशक श्रीमती आण्धे प्रातोनिधि समा० यूपी |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now